सर्वेश अग्रवाल का कहना है कि, एक्सेल, कोर जावा, पायथन कुछेक इस तरह के कौशल हैं जो अगर आपको आते हैं तो आपको प्राथमिकता मिलेगी।
गत कुछ दशकों में, छात्रों को रोज़गार मिलने में कमी आई है।
नासकोम-मैक्किंज़े की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के 26 प्रतिशत इंजीनियरिंग स्नातक ही रोज़गार दिए जाने लायक थे।
इस प्रतिशत से हमें पता चलता है कि दुनिया में हम सबसे कम आयु वाले नवयुकों वाला राष्ट्र बनने के पथ पर हैं जहां के निवासियों की औसत आयु 29 वर्ष हो।
कौशल संबंधी इस भारी अंतराल की वजह यह है कि छात्र उतने कुशल नहीं हैं जितने की आवश्यकता नियोक्ताओं को होती है।
तो नौकरी पाने की संभावना बढ़ाने हेतु आपको नए आवश्यक कौशलों में निपुण होना होगा।
मोटे तौर पर, वर्तमान में जिन कार्यों की मांग है हमने उन नौ कौशलों की सूची बनाई है जिससे आपको नौकरी पाने में सहायता मिलेगी।
1. कारोबार संबंधी पत्राचार तथा बातचीत आदि का कार्य
लगभग हर एक कार्य में लिखित और मौखिक संवाद की आवश्यकता होती ही है।
अच्छे कारोबारी संवाद का मतलब यह नहीं होता कि आप अच्छी अंग्रेज़ी जानते हैं बल्कि इसके साथ आपको व्यक्ति से संवाद का कौशल भी आना चाहिए।
यदि आप संवाद में कुशल हैं तो आप अपने कामकाज की दुनिया में अपने साथियों से आगे निकल जाएंगे साथ ही आप अपने बारे में लिखे जाने वाले विवरण के साथ उसके साथ लगने वाले पत्र को बेहतर लिख पाएंगे साथ ही आप ग्रुप डिस्कशन और साक्षात्कार आदि में बाज़ी मार जाएंगे।
कन्टेन्ट राइटिंग, कन्टेन्ट डिवैल्पमेन्ट, प्रूफरीडिंग, और इसी तरह के कार्य सीखे जाने के बाद ही किए जा सकते हैं।
2. एमएस एक्सेल
कामकाजी जगत में इस सॉफ्टवेयर का प्रयोग व्यापक स्तर पर होता है।
इस कार्य को कर पाने का यदि आपको ज्ञान है तो आप raw data का उपयोग कर पाएंगे, अनुमान लगा पाएंगे, और आप जान-समझ कर कारोबारी निर्णय ले पाने की स्थिति में होंगे।
यह कार्य यदि आपको आता है तो जीवन के हर मोड़ पर आपके काम आएगा।
इसे सीखने के बाद डाटा एन्ट्री, एक्सेल ट्रेनर, बिज़नेस एनेलिस्ट और इसी तरह के कार्य आपको मिल सकते हैं।
3. डिजिटल मार्केटिंग
मार्केटिंग का यह एक महत्वपूर्ण भाग है इसमें कई तरह के हिस्से होते हैं जैसे कि ई-मेल मार्केटिंग, वैब एनैलिटिक्स, सोशल मीडिया मार्केटिंग, सर्च इंजन मार्केटिंग, सर्च इंजन ऑप्टीमाईज़ेशन, ब्लॉग क्रिएशन, वीडियो और मोबाइल मार्केटिंग।
आम जनता तक पहुंच कर ब्रांड का नाम स्थापित करने का यह सबसे अच्छा तरीका है।
इसे सीखने के बाद आपको सोशल मीडिया मार्केटिंग, डिजिटल मार्केटिंग, मार्केटिंग रिसर्च, और इसी तरह के कार्य मिल सकते हैं।
4. भाषा
भारत की कंपनियों का कारोबार आज पूरी दुनिया में फैल रहा है इसलिए ऐसे लोगों की आवश्यकता पिछले दशक से आज कहीं ज़्यादा पड़ती है जो विदेशी भाषाएं धारा प्रवाह बोल सकें।
आज ऐसे अवसरों की संख्या तेज़ी से बढ़ी है जिनमें विभिन्न भाषाओं में अंश-कालिक और पूर्ण-कालिक कार्य मिलता है।
जो भाषाएं आप सीख सकते हैं उनमें से कुछ हैं – स्पैनिश, फ्रेन्च, जर्मन या चीनी, इससे कन्टैन्ट डिवैल्पमेन्ट, क्लाइन्ट इन्टरैक्शन, भाषा विशेषज्ञ और इसी तरह के कामकाज आपको इन्हें सीखने के बाद मिल सकते हैं।
ऊपर लिखे कार्यों को सीखने के अलावा, पांच और ऐसे तकनीकी कार्य हैं जिनकी आज मांग है और इन्हें सीखा जा सकता है।
ये हैं:
5. वैब डिवैल्पमेन्ट
अधिकतर कंपनियों का चेहरा सबसे पहले तो वैबसाइट के ज़रिए ही दिखाई देता है और इसमें वैब डिवैल्पमेन्ट का कार्य करना होता है।
इसमें एक पेज से लेकर जटिलतापूर्ण वैबसाइट को विकसित करने का कार्य हो सकता है।
मोटे तौर पर दो तरह के वैब डिवैलपर होते हैं: फ्रन्ट–एन्ड और बैक-एन्ड डिवैलपर्स।
फ्रन्ट-एन्ड वैब डिवैलपर वैबसाइट के विभिन्न चित्रों संबंधी कार्य करता है तो बैक-एन्ड वैब डिवैलपर वैबसाइट को सक्रिय रखने संबंधी कार्य करता है।
इन कार्यों को सीख लेने के बाद आपको फ्रन्ट-एन्ड डिवैलपर, बैक-एन्ड डिवैलपर, फुल स्टैक डिवैलपर और इसी तरह के कार्य मिल सकते हैं।
6. कोर जावा
आज यह सबसे अधिक आम और लोकप्रिय प्रोग्रामिंग भाषाओं में से एक है।
इसे 1995 में बनाया गया और यह अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर कार्य करती है
(विन्डोज़, मैक, लाइनक्स, रैस्पबेरी पीआई आदि)
यह एक ओपन सोर्स लैंग्वेज है, इसे आसानी से सीखा जा सकता है और जहां इसे प्रयोग किया जाना आसान है वहीं इसमें सुरक्षा बनी रहती है और यह फास्ट भी है।
इसे मोबाइल ऐप बनाने, वैब ऐप, डेस्कटॉप ऐप, गेम्स और भी बहुत कुछ बनाने में प्रयोग किया जाता है। सॉफ्टवेयर डिवैलपर प्रोग्राम एनेलिस्ट, सॉफ्टवेयर इंजीनियर और इसी तरह के कार्य इसे सीखने के बाद आपको मिल सकते हैं।
7. पायथन
पढ़ने लायक बनाने के लिए पायथन को बनाया गया है और इसके कोड अंग्रेज़ी भाषा जैसे होते हैं जिसकी वजह से यह प्रयोक्ताओं के लिए आसान कोडिंग लैंग्वेज के रूप में लोकप्रिय है।
इसका प्रयोग बैक-एन्ड वैब डिवैल्पमेन्ट, सॉफ्टवेयर डिवैल्पमेन्ट या फिर सिस्टम स्क्रिप्टिंग के लिए होता है।
स्वयं व्याख्या कर सकने वाली और लक्ष्योन्मुख प्रोग्रामिंग (ओाओपी) भाषा होने के कारण यह वास्तविक दुनिया के अनुसार अपने आपको ढाल लेती है और संकलनकर्ता को बिना किसी परेशानी में डाले यह कोड समझ लेती है जिससे कोड लाइनों का परिष्कार करने में लगने वाला समय बचता है।
इसे सीखने के बाद आपको डाटा साइंटिस्ट, एआई डिवैलपर, गेम डिवैलपर और इसी तरह के कामकाज मिल सकते हैं।
8. सी और सी+ + के साथ प्रोग्रामिंग
सी एक सामान्य प्रयोजन हेतु प्रयोग में लाई जाने वाली प्रोग्रामिंग भाषा है जिसका प्रयोग ऑपरेटिंग सिस्टमों (विन्डोज़ या आईओएस) से व्यापक स्तर पर एप्लीकेशनों के लिए होता है।
यह बहुत ही कुशल है और ऑपरेटिंग सिस्टम बदलने पर इस प्रोग्राम में परिवर्तन की आवश्यकता नहीं होती है।
सी++ सी भाषा का एक समुच्चय है।
यह सी पर आधारित एक कुशल और सामान्य प्रयोजन वाली प्रोग्रामिंग लैंग्वेज है।
ऐसी लोकप्रिय प्रोग्रामिंग भाषा का प्रयोग विभिन्न एप्लीकेशनों को डिवैलप करने में होता है जैसे एडोबी फोटोशॉप, एडोबी इलस्ट्रेटर और एडोबी इनडिज़ाइन।
ये दोनों भाषाएं कोडिंग और एप्लीकेशन डिवैलप करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करती हैं।
सॉफ्टवेयर डिवैलपर, वैब डिज़ाइनर, वैब डिवैलपर कुछ ऐसे काम हैं जिनके लिए यह आनी चाहिए।
9. एन्ड्रॉइड ऐप डिवैल्पमेन्ट
2 बिलियन से अधिक प्रयोक्ताओं द्वारा मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम पर एन्ड्रॉइड का प्रयोग सर्वाधिक होता है।
तरह-तरह की जानकारी लेने के लिए प्रक्रिया आसान करने हेतु इन एप्लीकेशनों को बनाया गया है।
किसी एप्लीकेशन को डिवैलप करते समय ध्यान में यह रखा जाता है कि एप्लीकेशन आसान हो और यह व्यापक स्तर पर कार्य कर सकती हो।
जब आप इसे सीख जाएंगे तो आप एन्ड्रॉइड ऐप डिवैल्पमेन्ट और सब्जेक्ट मैटर एक्सपर्ट जैसे पदों के लिए आवेदन कर सकते हैं।
इन कार्यों को सीख जाने के बाद आप अपने मनचाहे साक्षात्कार दे पाएंगे और वहीं इसमें असल बात यह होती है कि आपको एक्सेल में कितना कठिन कार्य करने को दिया जाता है जिसमें आप अपने कौशल का प्रदर्शन कर पाते हैं।
बहुत ज़रूरी होता है कि आप लोचपूर्ण हों, आपका अधिकार हो और आपको जो भी मौका मिले उसमें सबसे अच्छा कर दिखाने की आपमें ललक हो।
जब आपके मन में यह बात साफ हो जाएगी कि वाकई आप करना क्या चाहते हैं तब आप सर्वश्रेष्ठ कर पाएंगे क्योंकि किसी कार्य को करने की कुंजी यही होती है।
ऊपर जो चित्र दर्शाया गया है वह मात्र एक उदाहरण के तौर पर ही है।
सर्वेश अग्रवाल इन्टर्नशिप और ट्रेनिंग प्लेटफॉर्म, इन्टर्नशाला के संस्थापक और सीईओ हैं।
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