'मेरी क़िस्मत इससे भी ख़राब हो सकती थी।'
हमने शायद ही कभी देखा होगा कि एक जानी-मानी फिल्म में मुंबई पुलिस कमिश्नर का किरदार निभाने वाले अभिनेता असल ज़िंदग़ी में वॉचमैन का किरदार निभा रहा है।
लेकिन हमें समझना चाहिये कि अभिनेताओं की ज़िंदग़ी आसान नहीं होती। और न ही सुरक्षित।
ब्लैक फ्राइडे, गुलाल और शूल जैसी फिल्मों में काम करने वाले सावी सिद्धु को यह बात ज़िंदग़ी ने सिखा दी।
54-वर्षीय, लंबे और दुबले-पतले इस अभिनेता की किस्मत ने 2014 में उनकी फिल्म बेवक़ूफ़ियाँ के बाद उनका साथ नहीं दिया, और उन्हें नौकरी ढूंढने की ज़रूरत पड़ी - कोई भी नौकरी - पेट पालने के लिये।
सावी सिद्धु मलाड, उत्तर पश्चिम मुंबई की 16-मंज़िला लग्ज़री इमारत में तैनात हैं, जिसके सामने एक बेहद व्यस्त पार्क है।
जहाँ सावी सिद्धु बैठे हैं, उससे कुछ ही दूर पर लॉबी में बज रहे एक रेडियो पर अमिताभ बच्चन की अभिमान का गाना तेरी बिंदिया रे सुनाई दे रहा है।
"मैंने एक अच्छा बचपन, एक अच्छी ज़िंदग़ी देखी है," पंजाब के एक गाँव में अपने अतीत पर नज़र डालते हुए उन्होंने रॉन्जिता कुलकर्णी/रिडिफ़.कॉम से कहा।
"मुझे स्पोर्ट्स कोटा में कॉलेज में एडमिशन मिल गया था, क्योंकि मैं बास्केटबॉल खेलता था," उन्होंने बताया। 6 फुट 2 इंच के इस कलाकार का कद उनके व्यक्तित्व को निखारता है।
उन्होंने लखनऊ में वकालत की पढ़ाई शुरू की, लेकिन उसे पूरा नहीं किया।
और तभी उनके कदम स्टेज पर पड़े।
उनके भाई को मुंबई में एयर इंडिया में नौकरी मिल गयी, जिससे उनका इस शहर में आना आसान हो गया।
उन्होंने जुहू, उत्तर पश्चिम मुंबई में एक पीजी में रहने की व्यवस्था की, जहाँ कई बॉलीवुड सितारे रहते हैं।
उन्होंने एक डांस क्लास में दाखिला लिया, जहाँ से उन्हें उनकी पहली फिल्म मिल गयी।
वो भी कोई छोटा-मोटा रोल नहीं, लीड रोल।
दुर्भाग्यवश, मुन मुन सेन के साथ उनकी फिल्म फूलों के ज़ख़्म कभी रिलीज़ ही नहीं हुई।
इसके बाद उन्होंने और फिल्में कीं, लेकिन बार-बार होने वाली एक बीमारी के कारण उन्हें काम कम मिलने लगा।
सावी सिद्धु उनकी इस बीमारी को समझा तो नहीं सकते, लेकिन उनका कहना है कि न तो इसका कोई इलाज है और न ही कोई व्यायाम।
"मेरे पेट की मांसपेशियाँ खिंच जाती हैं," उन्होंने बताया। "तो जब कोई सीन करते समय ऐसा होता है, तो मेरा हाव-भाव और बॉडी लैंग्वेज मेरे डायलॉग से मेल नहीं खाता। इसलिये मुझे काम कम मिलने लगा।"
और इसका उनके जीवन पर गहरा असर पड़ा।
"मेरी पत्नी चल बसी। इसके बाद एक-एक करके मेरे माता-पिता, मेरा ससुराल परिवार, मेरे अन्य रिश्तेदार सब चले गये... मैं टूट चुका था," उन्होंने बताया।
बेवकूफ़ियाँ के बाद, ऑफ़र्स बंद हो गये और आर्थिक समस्याऍं बढ़ने लगीं।
अंत में, जब पैसे ख़त्म हो गये, तो वो काम की तलाश में निकले।
"मुझे काम मांगने में कोई शर्म नहीं आती," उन्होंने मुस्कुरा कर कहा।
उन्हें सिक्योरिटी की नौकरी मिली और पिछले दो महीनों से वो वॉचमैन का काम कर रहे हैं।
जिस इमारत में वो काम करते हैं, उसमें 128 फ़्लैट्स हैं, जिससे सावी सिद्धु की ज़िंदग़ी काफ़ी व्यस्त हो गयी है।
"सिक्योरिटी का काम आर्मी या पुलिस के काम जैसा है। ज़्यादा देर तक काम, कम पैसे," उन्होंने हँसते हुए अपनी रु.9,000 की मामूली तनख़्वाह के बारे में बताते हुए कहा।
एक दिन की छुट्टी का मतलब है पगार कटना।
लेकिन अब अकेलेपन या ज़िंदग़ी की ग़लतियों पर रोने का समय नहीं है।
"यहाँ ज़िंदग़ी इतनी व्यस्त है कि आपको अपनी तकलीफों के बारे में सोचने की फुर्सत ही नहीं मिलती," उन्होंने अपना सिर हिलाते हुए कहा।
"मैं कभी निराश नहीं हुआ। मेरी क़िस्मत इससे भी ख़राब हो सकती थी। मुझे विश्वास है कि मैं दुबारा ऊपर उठूंगा," उन्होंने आगे कहा।
सुबह 8 से रात 8 की उनकी लंबी ड्यूटी के बाद सावी सिद्धु अपने खाली घर पर जाकर खाना बनाते हैं।
"मेरी मदद करने वाला कोई नहीं है, इसलिये काफ़ी मुश्किल होती है। ये पूरी तरह वन-मैन शो हो गया है," उन्होंने कहा, फिर आगे कहा, "मैं अच्छा खाना बना लेता हूं। मैं मटन, चिकन और मछली बना सकता हूं। मछली ज़्यादा महँगी होने के कारण अब मैं अफोर्ड नहीं कर पाता।"
बातचीत के दौरान उनके एक साथी ने उन्हें काग़ज़ की प्लेट में भेल लाकर दी, जो उनका शाम का नाश्ता है। उन्होंने बड़े प्यार से प्लेट मेरी ओर बढ़ाई, और मेरे मना करने पर उन्होंने विनम्रता से उसे बगल में रख दिया।
रेडियो शो अब एक उत्साहित विज्ञापन में बदल गया है, और मूड बदल जाता है।
उन्होंने एक नेम प्लेट दिखाकर मुझे एक व्यक्ति का परिचय दिया, जिन्होंने उनकी ज़िंदग़ी बदल दी।
"बिरेन्द्रनाथ तिवारी (प्रेसिडेंट, फेडरेशन ऑफ़ वेस्टर्न इंडिया सिने इम्प्लॉईज़) मुझे पहले से जानते थे, और उन्होंने मुझे फिल्म कम्पेनियन के साथ इंटरव्यू दिलवा दिया। तभी हंगामा शुरू हुआ!" उन्होंने जोश में कहा।
इंटरव्यू वायरल हो गया और इसे बॉलीवुड से काफी रेस्पाँस मिला।
ब्लैक फ्राइडे और गुलाल में उनके डायरेक्टर अनुराग कश्यप ने उनके बारे में काफी ट्वीट लिखे: 'ऐसे कई ऐक्टर्स हैं जिनके पास काम नहीं है। मैं एक ऐक्टर के रूप में सावी सिद्धु की बहुत इज़्ज़त करता हूं, और उन्हें तीन बार रोल दिये हैं, जिन्हें उन्होंने अपने हुनर से जीता है।'
'मैं उनका सम्मान करता हूं कि उन्होंने इज़्ज़त के साथ जीने का फैसला किया और एक नौकरी पकड़ी। उन अभिनेताओं की तरह नहीं, जो काम न मिलने पर शराबी बन जाते हैं और अपनी ज़िंदग़ी बर्बाद कर लेते हैं। नवाज़ भी एक वॉचमैन था, मैं एक वेटर था, मुझे एक ऐक्टर मिला था, जो सड़कों पर भेलपुरी बेच रहा है, ब्लैक फ्राइडे के एक ऐसे ऐक्टर को मैं जानता हूं जो रिक्शा चलाता है, सलाम बॉम्बे का लीड भी यही काम करता था।'
'मैंने हम पाँच और खेल खिलाड़ी का जैसी फिल्में करने वाले महान उदय चंद्रा को मेरे शुरुआती दिनों में सड़कों पर भटकते देखा है...'
'किसी अभिनेता को सहानुभूति के कारण रोल देना उसकी कला का अपमान है। कला का भी और कलाकार का भी। सावी मेहनत करेंगे। उन्हें रोल पाने के लिये बस किसी कास्टिंग डायरेक्टर को अपने ऑडीशन के लिये मनाना होगा और उसके लिये लाखों और लोगों की तरह उन्हें भी कास्टिंग डायरेक्टर के ऑफ़िस जाना होगा। उन्होंने सोच-समझ कर फैसला लिया है और सभी को उनपर गर्व होना चाहिये कि वो कला के घमंड में चूर नहीं हुए।'
'और वो सच में नौकरी कर रहे हैं। मैंने कई ऐसे लेखक देखे हैं जो हमेशा मुझसे उधार मांगते रहते हैं, मैंने ऐसे फिल्ममेकर्स देखे हैं, जो खाना खाने के लिये पैसे मांगा करते हैं।'
'वॉचमैन होना भी एक काम है, और कोई भी काम बड़ा या छोटा नहीं होता। कम से कम वो भीख नहीं मांग रहे हैं...'
'सिनेमा में जाइये और सावी सिद्धु जैसे अंजाने लेकिन बेहतरीन कलाकारों की फिल्मों की टिकट्स खरीदिये ताकि वो अपना काम करते रहें, और सफल कलाकार बनने की ओर कदम बढ़ाते रहें।'
राजकुमार राव ने भी ट्विटर के ज़रिये पोस्ट किया, 'मैं #SaviSidhu सर की कहानी से बहुत प्रेरित हूं। मैंने हमेशा आपके काम को पसंद किया है। आपकी पॉज़िटिविटी एक मिसाल है। मैं अपने कास्टिंग दोस्तों से ज़रूर कहूंगा कि वो आपसे संपर्क करें।'
मिका सिंह ने उन्हें बिपाशा बासु की आदत में एक रोल ऑफ़र किया।
''मिका सिंह ने मुझे लेने और उनके घर ले जाने के लिये एक कार भेजी,'' सावी सिद्धु ने मुस्कुराते हुए कहा।
सावी सिद्धु अपनी व्यस्त दिनचर्या में ऑडीशन्स की जगह बनाने की कोशिश कर रहे हैं, और दो ऑडीशन्स दे भी चुके हैं।
"30 साल में मैंने जिन लोगों से कभी बात भी नहीं की थी, आज वो मेरी मदद के लिये आगे आ रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि ये रेस्पाँस मेरे लिये काम भी लेकर आयेगा," उन्होंने कहा।
तीन दिन बाद...
"मैंने वॉचमैन की नौकरी छोड़ दी है!" सावी सिद्धु ने फोन पर खुशी से बताया।
"मैंने मिका सिंह की कंपनी म्यूज़िक ऐंड साउंड जॉइन कर ली है और अभी मैं उनके ही ऑफ़िस में बैठा हूं," उन्होंने ख़ुशी से बताया।
सावी सिद्धु को एक शॉर्ट फिल्म के साथ-साथ बिपाशा बासू-करन सिंह ग्रोवर की फीचर फिल्म आदत में भी काम मिल गया है।
''मिकाजी ने कहा, खाओ, पियो, एक्सरसाइज़ करो, मेरा जिम है, डिज़ाइनर कपड़े मंगवा दूं... वो मेरी इतनी सेवा कर रहे हैं! वो बहुत अच्छे इंसान हैं! मैं दंग रह गया। मैं चाहता हूं कि अब वो शादी कर लें!" सावी सिद्धु ने फोन पर उत्साह से कहा। "और ये सब एक ही मीटिंग में हो गया।"
अब वो ऑडीशन्स भी दे रहे हैं, जिसमें से एक धर्मा प्रॉडक्शन्स में भी दिया है।
"मैं रातों-रात एक वॉचमैन बन गया था। अब मेरी ज़िंदग़ी एक बार फिर रातों-रात बदल गयी है। मैंने ज़िंदग़ी में काफ़ी कुछ देखा है। मैंने उतार-चढ़ाव से बहुत कुछ सीखा है।," उन्होंने कहा।
सावी सिद्धु एक बार फिर अपने सपने को जी रहे हैं।