तीन बार ओलम्पिक स्वर्ण पदक विजेता और पाँच-बार विश्व रेकॉर्ड बनाने वाली स्टेफनी राइस ने बताया कि वह किस प्रकार 2028 में भारत को तैराकी में ओलम्पिक पदक दिलाने की कोशिश कर रही हैं।
ऑस्ट्रेलिया की दिग्गज तैराक स्टेफनी राइस ने भारत में एक मिशन शुरू किया है।
2008 ओलम्पिक गेम्स में तीन स्वर्ण पदक जीतने वाली और पाँच बार विश्व कीर्तीमान बनाने वाली यह तैराक भारत में चैम्पियन तैराक तैयार करना चाहती है, जहाँ तैराकी का प्रदर्शन समर गेम्स में अच्छा नहीं रहा है।
31 वर्षीया तैराक, जिन्हें हाल ही में स्पोर्ट ऑस्ट्रेलिया के हॉल ऑफ़ फ़ेम की एक एथलीट सदस्या के रूप में शामिल किया गया है, भारतीय तैराकों को 2028 ओलम्पिक्स में पोडियम फिनिश के लिये तैयार करने के उद्देश्य के साथ स्टेफनी राइस स्विमिंग अकेडमी की शुरुआत कर रही हैं।
राइस ने भारत के अग्रणी तैराकों से बात की है और अपने कोच माइकल बोल की सहायता से अकेडमी खोलने की योजना बना रही हैं।
मुंबई में अगले सप्ताह स्टेफनी और उनकी टीम प्रायोजकों और पार्टनर्स से मिलकर भारत में स्टेफनी राइस स्विमिंग अकेडमी की योजनाओं को आगे बढ़ाने का प्रयास करेंगी।
"भारत में बेहद प्रतिभाशाली तैराक मौजूद हैं। मुझे लगता है कि बस विश्वस्तरीय प्रशिक्षण की कमी ही उनके और ओलम्पिक पदक के बीच आ रही है," राइस ने रिडिफ़.कॉम के हरीश कोटियन को बताया।
आपने कोच माइकल बोल के साथ मिलकर भारतीय तैराकों को 2028 में ओलम्पिक मेडल के लिये प्रशिक्षण और मार्गदर्शन देने की बड़ी योजना बनाई है।
आपने भारतीय तैराकों को प्रशिक्षण देने का फैसला क्यों किया, जिनका प्रदर्शन ओलम्पिक्स में पूल के भीतर अच्छा नहीं रहा है?
हम 4 से 8 साल के भीतर किसी को पोडियम तक पहुंचाने की उम्मीद कर रहे हैं। यही हमारा सपना है।
भारत मुझे बहुत पसंद है। मेरे भीतर हमेशा से भारत के लिये प्यार रहा है। मेरे पूरे करियर के दौरान भारतीय मीडिया ने मेरा बहुत साथ दिया है। सोशल मीडिया के साथ मुझे भारतीय फैन्स से बहुत ज़्यादा ऑनलाइन सहयोग मिला।
मैं कभी समझ नहीं पाई कि भारत से मेरे इतने फैन क्यों हैं। न मैंने भारत में किसी प्रतियोगिता में हिस्सा लिया है, और न ही मैं भारतीय हूं, तो यह बात मेरी समझ में कभी नहीं आयी। भारत को तैराकी के लिये नहीं जाना जाता है, तो यह बात थोड़ी अजीब है।
तो इसी बात को समझने की इच्छा से मैं यहाँ आयी। तब मुझसे स्टार स्पोर्ट्स कवरेज करने के लिये कहा गया था, और जितनी बार भी मैं यहाँ आती हूं, यहाँ लंबे समय तक रहने और भारत में कुछ करने की इच्छा उतनी ही मज़बूत होती जाती है।
बहुत सारे प्रशिक्षण कार्यक्रम और मौजूदा तैराकों को देखने और उसकी चर्चा करने, स्विमिंग क्लिनिक्स करने के बाद अब मेरी समझ में आ रहा है कि कमी कहाँ है और कहाँ मैं सुधार ला सकती हूं और भारतीय तैराकी को नयी ऊंचाई दिलाने के लिये हम क्या कर सकते हैं।
हालांकि एक दिन के लिये स्विमिंग क्लिनिक करने में अच्छा तो लगता है, लेकिन इसका प्रभाव बहुत सीमित होता है। हमें लंबे समय के प्रशिक्षण के लिये कुछ करना चाहिये।
कम से कम 10 वर्षों का लक्ष्य रखना चाहिये, क्योंकि ओलम्पियन को तैयार करने में समय लगता है। सिर्फ ओलम्पियन को तैयार करने में ही नहीं, बल्कि पूरे भारतीय तैराकी समुदाय को यह विश्वास दिलाने में समय लगेगा कि हम जो करने की कोशिश कर रहे हैं, वास्तव में कर सकते हैं।
रियो ओलम्पिक्स में वाइल्ड कार्ड्स के रूप में चुने गये दो भारतीय तैराक -- शिवानी कटारिया और साजन प्रकाश -- सेमीफाइनल तक नहीं पहुंच पाये।
हमारे तैराकों में क्या कमी है? क्या उन्हें व्यवस्था की कमी, सहयोग की कमी, उचित कोचिंग के अभाव या बहुत सारी अन्य मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है?
उन्हें बस हाइ परफॉर्मेंस स्विमिंग का प्रशिक्षण नहीं मिल रहा है। आप अगर क्रिकेट या बैडमिंटन पर नज़र डालें, तो आप देखेंगे कि उन्हें हर तरह की सेवाऍं, सही प्रशिक्षण, पोषण, तंदुरुस्ती और कंडीशनिंग जैसी सारी चीज़ें मिल रही हैं।
मुझे लगता है कि भारत में ऊंचे स्तर की तैराकी के लिये प्रशिक्षण की कमी है।
ऑस्ट्रेलिया में आपके पास माइकेल बोल जैसे दिग्गजों से प्रशिक्षण पाने का मौका होता है, जो मेरे, या माइकल फेल्प्स के कोच हैं। आप देख सकते हैं कि दुनिया के बेहतरीन प्रशिक्षक क्या करते हैं और मैं उन चीज़ों को अपने कोचिंग प्रोग्राम में कैसे उपलब्ध करा सकती हूं।
भारत को तैराकी के लिये नहीं जाना जाता है, इसलिये दूसरे देशों के हाइ लेवल कोचेज़ यहाँ आना नहीं चाहेंगे, बल्कि वे US जैसे देशों में जाना चाहेंगे, जहाँ तैराकी विकसित है।
मुझे लगता है कि मैं स्टेफनी राइस स्विमिंग अकेडमी के साथ यह अभियान शुरू कर सकती हूं। मैं अपने कोचेज़ को यहाँ लाऊंगी, और हाइ परफॉर्मेंस कोचिंग को समझने में स्थानीय कोचेज़ की मदद करूंगी और उन्हें बताऊंगी कि उच्च स्तर के लिये प्रशिक्षण कैसे दिया जाता है।
क्या भारतीय तैराकों को ओलम्पिक स्तर तक पहुंचाने के लिये चार साल काफ़ी हैं?
ओलम्पिक स्तर पर भारतीय तैराक द्वारा अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन है दुनिया में 24वाँ स्थान हासिल करना।
जब तैराकी की बात हो, तो ओलम्पिक्स मुख्य प्रतियोगिता है। एशियन गेम्स, कॉमनवेल्थ गेम्स जैसी कई प्रतियोगिताऍं हैं, लेकिन उनकी बात अलग है, ओलम्पिक्स में तैरना शिखर को छूने की तरह है।
चार साल में हम निश्चित रूप से लोगों को फाइनल्स (ओलम्पिक्स में) तक पहुंचा सकते हैं, यानि कि दुनिया के सर्वश्रेष्ठ आठ तैराकों में।
और उसके बाद आठ साल के भीतर मुझे लगता है कोई न कोई ज़रूर पोडियम तक पहुंच सकता है, यानि कि दुनिया के सर्वश्रेष्ठ तीन तैराकों में।
आपने प्रायोजकों, तैराकों और तैराकी से जुड़े अन्य लोगों से बात की है। क्या आपको लगता है कि भारत में प्रशासन और सरकार द्वारा तैराकी के खेल को अनदेखा किया जाता है?
बिल्कुल। इसलिये मेरे लिये अकेडमी की सेवा शुरू करना महत्वपूर्ण है। इस तरह की गतिविधि शुरू करने में वक़्त लगता है।
बेहतरीन भारतीय तैराकों को अन्य देशों में प्रशिक्षण लेना पड़ता है। ऐसा आप तभी कर सकते हैं जब आपको अपने परिवार से आर्थिक सहयोग और ऐसा करने का मौका मिले।
अन्य खेलों पर नज़र डालें, तो आप देखेंगे कि पी वी सिद्धू ने पिछले ओलम्पिक्स में क्या करिश्मा दिखाया। हर युवा लड़की अब सिद्धू जैसी बनना चाहती है।
आपने स्पॉन्सरशिप डील्स के रूप में उसकी आर्थिक सफलता भी देखी है। वह अब बेहतरीन एथलीट बन सकती है, क्योंकि उसके पास सहयोग है।
तो इसके लिये ज़रूरी है कि कोई एक व्यक्ति आगे आये, किसी को ट्रेन करे और उसे सफलता दिलाये। इसका असर फैलता है। फिर सारे एथलीट उस एथलीट जैसे बनना चाहते हैं।
तैराकी (भारत में) आर्थिक रूप से समृद्ध लोगों का खेल है -- जिनके पास प्रशिक्षण लेने और साथ ही पूल की व्यवस्था हो। लेकिन मुझे लगता है कि 4 से 8 साल में हम इस दूरी को कम करने में सक्षम होंगे और साथ ही मौके न पाने वाले ग्रामीण क्षेत्रों के एथलीट्स का भी सहयोग कर पायेंगे, जिनकी तलाश हम उनकी प्रतिभा के अनुसार करेंगे।
मुझे बस किसी को पोडियम तक पहुंचाने से कहीं ज़्यादा बड़ी सफलता हासिल करनी है। मैं भारत में तैराकी के खेल को विकसित करना चाहती हूं।
भारत में हमारे पास ओलम्पिक स्तर के स्विमिंग पूल्स ज़्यादा नहीं हैं। क्या यह इस देश में इस खेल के विकास में बाधा डाल रहा है?
आपको ट्रेनिंग के लिये ओलम्पिक स्टैंडर्ड पूल की ज़रूरत नहीं है।
ऑस्ट्रेलिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ स्पोर्ट्स का पूल दुनिया के बेहतरीन पूल्स में से एक है। वह बेहद अत्याधुनिक है, लेकिन मैंने वहाँ प्रशिक्षण नहीं लिया था। बहुत लोगों को लगता है कि मैंने वहीं प्रशिक्षण लिया होगा, क्योंकि वह ऑस्ट्रेलिया का सबसे अच्छा पूल है।
हम बस स्कूल में 50मी के साधारण आउटडोर पूल में ट्रेन करते थे। कोई हाइ-टेक व्यवस्था नहीं, कोई टच पैड नहीं, कोई बड़ी टेक स्क्रीन्स नहीं। आपको दैनिक कोचिंग के लिये उन चीज़ों की ज़रूरत नहीं है, लेकिन प्रतियोगिता के समय आपको उनका इस्तेमाल करना पड़ता है।
मुझे यहाँ व्यवस्था की कमी तो नहीं दिखाई देती। मैंने कई शानदार 50मी पूल्स देखे हैं, जो दैनिक कोचिंग के लिये उत्तम होंगे। उसके बाद हम अत्याधुनिक सेवाओं वाले पूल पर क्लिनिक या वीकेंड कैम्प के लिये जा सकते हैं।
क्या आपकी स्विमिंग एकेडमी एक ही शहर में होगी? या देश भर में उसके केंद्र होंगे?
हमारी एकेडमी बस एक ही शहर और एक ही पूल पर आधारित होगी, क्योंकि हम उस क्षेत्र की कोचिंग में अपने सारे संसाधनों का इस्तेमाल करने की कोशिश करेंगे। लेकिन उम्मीद है कि 4 से 8 साल में हम और भी राज्यों में तैराकी सिखाने वाले कार्यक्रम शुरू कर पायेंगे, और एलीट कार्यक्रमों के माध्यम से प्रतिभाशाली लोगों को चुनेंगे।
तैराकी एक अनोखा खेल है, क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तैराकों का करियर बहुत ही छोटा होता है। वे बहुत ही कम उम्र में करियर शुरू और ख़त्म करते हैं।
पाँच बार ओलम्पिक स्वर्ण पदक विजेता रह चुकी मिसी फ्रैंकलिन ने 23 वर्ष की उम्र में तैराकी की प्रतियोगिताओं से सन्यास ले लिया। आपने 24 साल में सन्यास लिया।
मैं इस बात से सहमत नहीं हूं। मुझे नहीं लगता कि तैराकों का करियर छोटा होता है, लेकिन तैराक अपना करियर जल्दी शुरू करते हैं।
अधिकांश खेलों में आप देखेंगे कि खिलाड़ी 10 साल से ज़्यादा प्रदर्शन नहीं कर पाते। लेकिन आपकी नज़र उन पर उनके करियर के अंतिम छः वर्षों में पड़ती है।
मैंने 15 वर्ष की उम्र में अपनी पहली ऑस्ट्रेलियाई सीनियर टीम बनाई और 24 की उम्र में सन्यास लिया, तो मैंने खेल के उच्चतम स्तर पर नौ वर्ष बिताये हैं।
आपको भारत में किस आयु वर्ग के तैराकों की तलाश है?
कार्यक्रम के उच्चतम स्तर के लिये हम लगभग 30 एथलीट्स को शामिल करना चाहते हैं। ये एथलीट्स 12-13 से लेकर 25-26 तक की उम्र के हो सकते हैं।
हम चाहते हैं कि तैराकों को तैराकी के खेल के बारे में पहले से पता हो और वे तक़रीबन 8 वर्ष की उम्र से तकनीक और विकास पर ध्यान देना शुरू कर दें।
क्या आप विश्वस्तरीय कोचिंग और उत्तम व्यवस्था के अनुभव के लिये युवा भारतीय तैराकों को ऑस्ट्रेलिया लेकर जायेंगी?
मैं ऐसा कुछ करने की उम्मीद में हूं, जिसके लिये मैं किसी कंपनी से सहयोग चाहती हूं।
मुझे लगता है कि सबसे पहले आपको अपने क्षेत्र में ट्रेनिंग करनी चाहिये, जिसके बाद निश्चित रूप से आपको ट्रेनिंग कैम्प्स और प्रतियोगितात्मक वातावरण की ज़रूरत पड़ेगी।
तो मैं भारतीय टीम को ऑस्ट्रेलिया ज़रूर लेकर जाना चाहूंगी, जहाँ वे ऑस्ट्रेलिया के मौजूदा ओलम्पियन्स जैसे दिग्गजों के साथ ट्रेनिंग कर पायें और उनके साथ रेस करें।
यानि कि सही वातावरण मिलने के बाद -- ये लोग क्या करते हैं, कैसे रेस करते हैं और आपको किस स्तर तक जाना है -- आप अपने ट्रेनिंग प्रोग्राम में वापस लौटेंगे और आपका हौसला बुलंद होगा क्योंकि आपने चीज़ों को देखा है और आपको पता है कि आपका ध्यान कहाँ होना चाहिये।
इसलिये मैं चाहती हूं कि कोई प्रायोजक आगे आकर इस उपक्रम में सहायता करे, क्योंकि यह ओलम्पिक तैराक तैयार करने के लिये ज़रूरी है।
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