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स्पाइडर-मैन फ़ार फ्रॉम होम रीव्यू: हल्की-फुल्की मज़ेदार फिल्म
By SUKANYA VERMA
July 06, 2019

स्पाइडर मैन: फ़ार फ्रॉम होम  की कहानी हल्के-फुल्के जवानी के दिनों की मस्ती और सही, हक़ीक़त और ज़िम्मेदारी के बीच के फर्क को समझते एक कम तैयार एवेंजर की ज़िंदग़ी के उतार-चढ़ाव के बीच घूमती रहती है, सुकन्या वर्मा ने बताया।

स्पाइडी को क्लास फील्ड ट्रिप पर देखना सचमुच बेहद मज़ेदार था।

और इस तरह विज्ञान की शिक्षा के उद्देश्य से आयोजित की गयी हाइ स्कूल की एक सैर पूरे यूरोप में हलचल मचा देती है, और यूरोप को प्रकृति के विनाशकारी तत्वों का निशाना बना देती है, जिन्हें उन्होंने एलिमेंटल्स का नाम दिया है।

प्रकृति के मूल तत्वों -- मिट्टी, पानी और आग के साथ ये विनाशकारी शक्तियाँ एवेंजर्स के बाद के दौर में दुनिया भर में आतंक का कारण बन गयी हैं।

अपने पहचाने हुए इलाके से बाहर, स्पाइडर-मैन थोड़ा खोखला महसूस कर रहा है। लेकिन किसी को ऐसा नहीं लगता कि वह दबाव झेल नहीं सकता या उसे ब्रेक की ज़रूरत है।

उसकी समझदार आंट मे (मरिसा टोमे) 'आकस्मिक' घटनाओं के लिये उसके सूट को चुपके से उसके बैग में डाल देती हैं। लेकिन वो सिर्फ मासूम पीटर पार्कर बना रहता है, जो अपने दोस्तों (जेकब बेटलॉन) के साथ घूमता रहता है, आइफ़ल टावर पर अपने प्यार (प्यारी ज़ेन्डाया) को रिझाने की कोशिश करता है, उसे उसकी मनपसंद मर्डर मिस्ट्री पर आधारित ट्रिंकेट भी तोहफ़े में देता है।

लेकिन थानोस की चुटकी -- जिसके बाद के दौर को कॉलेज के न्यूज़ बुलेटिन में बहुत ही मज़ेदार तरीके से दिखाया गया है -- के बाद बड़े खतरों का सामना कर चुके पार्कर के लिये साधारण टूरिस्ट बनना तो मुश्किल ही है।

टोनी स्टार्क (रॉबर्ट डाउनी जूनियर) को खोने के बाद अब कूल गिज़्मोज़ से प्यार करने वाला लड़का और अपने चहेते सितारे का फैन बने रहने का समय ख़त्म हो चुका है।

स्टैन ली और स्टीव डिटको के इस किरदार को पर्दे पर कई रूपों में दिखाया जा चुका है -- सोनी, मार्वेल, डिज़्नी का यह कॉपीराइट का खेल बेहद कनफ़्यूज़िंग है -- लेकिन जॉन वॉट्स द्वारा डायरेक्ट की गयी (जिन्होंने पहली फिल्म, होमकमिंग  को भी डायरेक्ट किया है) टॉम हॉलैड की वेबस्लिंगर आयरन मैन फ्रैंचाइज़ का ही एक हिस्सा लगती है।

एवेंजर्स: एंडगेम में हुए हादसों के बाद आयरन मैन का असर इस फिल्म में साफ़ दिखाई देता है, लेकिन उतना ही, जितना स्टार्क को ज़रूर पसंद आता। पीटर को दिया एक शानदार विजेट एडिथ -- इसका मतलब जानने के लिये इंतज़ार करें -- ख़ास तौर पर आयरन मैन की एक ख़ूबसूरत झलक है।

स्टार्क के जाने के बाद पार्कर के भीतर आया खालीपन किसी दूसरे ग्रह से एलिमेंटल्स से लड़ने आये एक शांत, रहस्यमय योद्धा क्वेन्टिन बेक (दमदार जेक गिलेनहाल) और फिर स्टार्क के ख़ास, फ्राइडे, हैपी होगन (जिस किरदार को जॉन फॉरियो ने अमर कर दिया है) से उसके लगाव में दिखाई देता है।

स्पाइडर-मैन के किरदार का आकर्षण दुनिया को देखने के उसके अनाड़ी अंदाज़ में छुपा है। वह एक सीधा-सादा और मासूम लड़का है, जिसके कारण उसके दुश्मन उसके दिल को आसानी से निशाना बना लेते हैं और दोस्त उसे गंभीरता से नहीं लेते।

23 साल की उम्र में एक किशोर का किरदार निभाते टॉम हॉलैंड, भलाई करने के चक्कर में फँसे हुए किरदार के रूप में हमारी सहानुभूति जीत लेते हैं।

लेकिन स्पाइडी बनने पर, यह किरदार अपने लड़कपन और नादानी को पीछे छोड़ देता है और दुश्मनों से लड़ाई के दौरान टावर ब्रिज के चिह्न को ढाल के रूप में इस्तेमाल करते हुए उसने अपने शहर लंदन को बख़ूबी सम्मान दिया है।

मायाजाल से भरी इस कड़ी में स्पाइडर-मैन को यह समझने में वक्त लग जाता है कि वह असल में किस व्यक्ति और किस चीज़ के ख़िलाफ़ लड़ रहा है।

लेकिन एक बात साफ़ नज़र आती है कि अपने ख़ूबियों से भरे सूट के पीछे बस एक मासूम  लड़का एक लड़की से प्यार का इज़हार करने के इंतज़ार में खड़ा है, और हर बार निक फ़्यूरी की तरह उसके इस काम में कोई न कोई अड़चन ज़रूर आ जाती है, और यही बात क्रिस मैककेना और एरिक सॉमर्स द्वारा लिखी इस मूवी को और भी मज़ेदार बनाती है।

जहाँ एक ओर धमाकेदार 3डी दृश्यों और दमदार सीजीआइ के साथ वेनिस, बर्लिन, प्राग और लंदन तक ऐक्शन चलता रहता है, वहीं दूसरी ओर स्पाइडर मैन: फ़ार फ्रॉम होम  की कहानी हल्के-फुल्के जवानी के दिनों की मस्ती और सही, हक़ीक़त और ज़िम्मेदारी के बीच के फर्क को समझते एक कम तैयार एवेंजर की ज़िंदग़ी के उतार-चढ़ाव के बीच घूमती रहती है।

सुपरहीरो की आम मुश्किलें।

मूवी में एक समझदार इंसान ने कहा है, 'लोगों को मूर्ख बनाना आसान हो जाता है जब वो ख़ुद को मूर्ख बना रहे हों।' शायद यह बात एमसीयू के कभी ख़त्म न होने वाले कारखाने के ख़रीदारों पर लागू होती है, जिन्हें शायद पता नहीं है कि अंत असल में एक नयी शुरुआत है।

फिर भी, स्पाइडर-मैन तभी सफल होता है, जब वो अपनी एनर्जी दुनिया को नहीं बल्कि अपने दिल को बचाने में लगाता है। 

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SUKANYA VERMA
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