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एक्स्ट्राऑर्डिनरी जर्नी ऑफ़ द फ़क़ीर रीव्यू: नीरस
By सुकन्या वर्मा
June 25, 2019 17:38 IST

'छोटे सपनों और बड़ी मासूमियत से भरी दि एक्सट्राऑर्डिनरी जर्नी ऑफ़ द फ़क़ीर  एक बच्चों की काल्पनिक कहानी है, जो ऐडल्ट मूवी के भेष में भटक रही है,' सुकन्या वर्मा ने बताया।

गंदग़ी में सने कुछ किशोर लड़कों के सामने एक रहस्यमय, शांत इंसान प्रकट होता है और उन्हें एक कहानी सुनाने की बात करता है।

उसने वादा किया कि यह एक दुःख भरी कहानी है।

पहले इधर-उधर देखते और आपस में झगड़ते लड़के बाद में उसे ध्यान से सुनने लगते हैं।

झुग्गी-झोपड़ी के इन्हीं बच्चों की तरह उसकी कहानी भी उन्हीं की दुनिया के एक इंसान की है।

आपको जल्द ही पता चलता है कि यह कहानी उसी की ज़िंदग़ी की थी।

मुंबई की झुग्गी-झोपड़ी में पले-बढ़े अजातशत्रु लवाश पटेल उर्फ़ अजा (धनुष) के पास दि एक्सट्राऑर्डिनरी जर्नी ऑफ़ द फ़क़ीर  में सुनाने के लिये बहुत ही रोमांचक और सकारात्मक सीखों का पिटारा है।

फ्रांस से इंग्लैंड से स्पेन से इटली से लिबिया तक, उसका अद्भुत, मायावी सफ़र संदेहास्पद तो है, लेकिन मज़ेदार भी है।

केन स्कॉट द्वारा डायरेक्ट की गयी यह इंडो-फ्रेंच-बेल्जियन कोलैबोरेशन फ्रेंच लेखक रोमेन पुएर्तोलास की बेस्टसेलर दि एक्सट्राऑर्डिनरी जर्नी ऑफ़ द फ़क़ीर हू गॉट ट्रैप्ड इन ऐन आइकिया वॉर्डरोब  पर आधारित है, जिसके लंबे नाम का एक छोटा ही हिस्सा फिल्म के नाम में लिया गया है, लेकिन साथ ही किताब की चपलता और जादुई वास्तविकता भी इस फिल्म में खो गयी है।

सरसरी तौर पर तेज़ी से अपने पन्ने पलटती यह कहानी अलग-अलग दृश्यों में रोमांस से म्यूज़िकल से ड्रामा में बदलती रहती है -- चीज़ें देखने वाला अंधा आदमी, जो सड़क पर जादू दिखाकर रोज़ी-रोटी कमाता है, अपराधियों के साथ उसकी गुप्त मुलाकात, पैरिस के एक फर्निचर स्टोर में उसे मिलने वाली लड़की, प्रवासियों का एक समूह, अभिनेत्री के रूप में परी धर्ममाता का प्रकट होना, सब कुछ सादग़ी से भरा और नीरस है।

छोटे सपनों और बड़ी मासूमियत से भरी दि एक्सट्राऑर्डिनरी जर्नी ऑफ़ द फ़क़ीर  एक बच्चों की काल्पनिक कहानी है, जो ऐडल्ट मूवी के भेष में भटक रही है।

पल-पल रंग बदलती ऐलिस इन वंडरलैंड  की तरह ही अजा की हर खोज और भी अजीबो-ग़रीब होती जाती है।

भाग्य, दान, कर्म और बाहरी लोगों को देसी लगने वाली और चीज़ों में क्रैश कोर्स करने वाला अजा फर्राटेदार भारतीय अंग्रेज़ी बोलता है, और उससे जुड़े सभी लोग भी।

लेकिन उसके सफ़र में अलग-अलग जगह पर बदलते उच्चारण के साथ, इस तरह की बातचीत उतनी बेमेल नहीं लगती।

हालांकि इसमें सैंकड़ों किरदार हैं -- बेरेनिस बेजो और एरिन मोरियार्टी ने ख़ूबसूरत कलाकारी दिखाई है, और आइकिया की लड़की के यौन संबंधों में अलग-अलग प्रयोग करने वाले ख़ास दोस्त को लेकर कहानी को बेवजह घुमाया गया है -- लेकिन धनुष, इस पूरे सफ़र के सितारे हैं।

यह उनकी प्यार भरी छवि का एक सभ्य प्रदर्शन है, थोड़ा सा भोला, थोड़ा सा सिखाने वाला, लेकिन हमेशा भलाई करने वाला। और उनका असाधारण सफ़र भी उनकी छवि जैसा ही है। 

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सुकन्या वर्मा
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