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'हो सकता है साहो देखकर लड़कियों को मुझसे नफ़रत हो जाये'
By दिव्या सोलगामा
August 30, 2019 15:42 IST

'अगर साहो  सफल होती है और सब कुछ सही रहता है, तो मैं कई और पैन-इंडिया फिल्में करने के लिये तैयार हूं।'

फोटोग्राफ: Prabhas/ Facebook के सौजन्य से

"हो सकता है साहो  देखने के बाद लड़कियाँ कुछ समय के लिये मुझसे नफ़रत करने लग जायें," अपनी नयी फिल्म का प्रचार करते समय प्रभास ने कहा।

ऐसा लगता तो नहीं है, क्योंकि ऐक्शन पैक्ड, बख़ूबी शूट की गयी साहो  में प्रभास और भी ज़्यादा हॉट लग रहे हैं!

अपनी ब्लॉकबस्टर बाहुबली  के बाद अगली फिल्म की ओर कदम बढ़ाते हुए प्रभास ने रिडिफ़.कॉम की संवाददाता दिव्या सोलगामा को बताया, "अपनी आने वाली फिल्मों में बाहुबली  वाली इमेज को बनाये रखना लगभग असंभव है।"

क्या साहो बाहुबली  से ज़्यादा बड़ी होगी?

नहीं, बाहुबली ने इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाई है।

साहो  के साथ हम बस दर्शकों का मनोरंजन करने की उम्मीद रखते हैं।

फोटो: साहो  में श्रद्धा कपूर के साथ प्रभास।

क्या हम हिंदी सिनेमा में आगे भी आपको देखेंगे?

अगर साहो  सफल होती है और सब कुछ सही रहता है, तो मैं कई और पैन-इंडिया फिल्में करने के लिये तैयार हूं।

मुझे बॉलीवुड और तमिल फिल्मों के ऑफ़र्स मिले हैं।

मैं रीजनल फिल्में भी कर सकता हूं, सब कुछ फिल्म की सफलता पर निर्भर करता है।

क्या बाहुबली  की धमाकेदार सफलता के बाद आपको लगता है कि बॉलीवुड ने आपको स्वीकार कर लिया है?

काम कहीं भी हो, मुझे कड़ी मेहनत करनी है और हर फिल्म में ख़ुद को साबित करना है।

पहली बार बॉलीवुड में कदम रखना आसान नहीं था।

मुझे नहीं पता कि इंडस्ट्री के लोग किस हद तक मुझे स्वीकार करेंगे।

लेकिन बाहुबली  की अपार सफलता के बाद चीज़ें अब आसान हो गयी हैं।

प्रेस और बॉलीवुड स्टार्स ने काफ़ी प्यार जताया है।

अजय देवगण ने ख़ास तौर पर मुझे कॉल करके लंबी बात की। रणबीर कपूर ने मुझे मेसेज करके मेरे काम की तारीफ़ की।

हर किसी ने गर्मजोशी से मेरा स्वागत किया।

फोटो: साहो  में श्रद्धा कपूर के साथ प्रभास।

श्रद्धा कपूर और जैकी श्रॉफ़ जैसे बॉलीवुड ऐक्टर्स के साथ काम करने का आपका अनुभव कैसा रहा?

श्रद्धा को साउथ इंडियन फिल्में पसंद हैं और वो हमारी साउथ इंडियन स्टार जैसी ही है।

हम अक्सर बॉलीवुड के सीनियर स्टार्स से मिलने में डरते हैं, लेकिन जैकी (श्रॉफ़) सर बहुत ही कूल इंसान हैं।  

मैं हमेशा जैकी दादा  के साथ काम करना चाहता था।

मुझे ख़ुशी है कि उन्हें फिल्म में एक अहम किरदार दिया गया है, क्योंकि इससे मुझे उनके साथ काम करने का मौका मिल गया।

बाहुबली  के मुकाबले साहो  के लिये आपकी तैयारी कैसी थी?

साहो बाहुबली  जैसी बिल्कुल नहीं है।

बाहुबली  के पहले पार्ट के लिये हमने लगभग 120 दिन तक शूट किया था। हमें बहुत ज़्यादा रिहर्सल करना पड़ा क्योंकि वो एक ऐतिहासिक युद्ध की फिल्म थी।

साहो  वर्तमान काल की फिल्म है, लेकिन रिहर्सल यहाँ भी करने पड़े।

लेकिन इसमें टेक्नीशियन्स की तैयारी हमसे कहीं ज़्यादा थी, क्योंकि इसमें दुनिया भर के टेक्नीशियन हैं।

फोटो: साहो  में प्रभास।

आप देश भर का दिल जीत चुके हैं। आपने अपनी अगली फिल्म करने में इतना ज़्यादा वक़्त क्यों लिया?

मैं साल में कम से कम एक फिल्म करना चाहता हूं, लेकिन बाहुबली  के बाद थोड़ा प्रेशर बढ़ गया था -- अगली फिल्म की क्वॉलिटी मायने रखती थी।

मैंने इसके बाद लव स्टोरी करने की सोची थी, लेकिन फिर मुझे साहो  मिल गयी।

आपके फैन जापान में भी हैं।

हाँ, राजामॉली सर मुझे जापान ले गये थे।

मुझे बहुत अच्छा लगा।

क्या आप सोच सकते हैं कि एक भारतीय फिल्म को जापान में स्क्रीन किया जायेगा और लोग पागलों की तरह चीखते हुए राणा डगुबत्ती और राजामॉली सर के पाँव छूने दौड़ेंगे?

बाहुबली  ने हर किसी की ज़िंदग़ी में कई ऐसे अविश्वसनीय काम किये हैं।

फोटो: साहो  के सेट्स पर प्रभास।

क्या आपने बाहुबली  से इस तरह की सफलता की उम्मीद की थी?

नहीं। हमने दूसरे पार्ट की शूटिंग पहले के साथ ही शुरू की थी। जिसमें वो सीन भी शामिल था जिसमें देवसेना गर्भवती थी और उसे हथकड़ी लगी हुई थी।

हमने सोचा था कि हम दोनों पार्ट्स की शूटिंग एक साथ पूरी कर लेंगे, लेकिन बजट इतना ज़्यादा था कि हमें दूसरे पार्ट की शूटिंग रोक कर पहले पार्ट वन पूरा करना पड़ा।

तेलुगू में जो फिल्म चलती है, साउथ-इंडियन फील के कारण उसके तमिल और मलयालम में भी चलने की गुंजाइश होती है।

लेकिन हमें पता नहीं था कि यह कितनी सफल होगी।

फ़्लॉप के बाद अगली फिल्म चुनना आसान होता है, क्योंकि आप पहले से डूबे हुए हैं और आपको तिनके का सहारा काफ़ी है।

राजामॉली सर ने मुझे बाहुबली  तो दे दी, लेकिन मुझे पता नहीं कि अब मैं क्या करूंगा।

मुझे लगता है मैं बस अपना बेहतरीन अभिनय करूंगा।

हमने साहो  में कड़ी मेहनत की है और उम्मीद है कि सब कुछ सही होगा।

आप स्वभाव से शर्मीले हैं। आप अपनी ज़िंदग़ी में लड़कियों के अटेंशन को कैसे हैंडल करते हैं?

मैं स्कूल के दिनों में कभी लड़कियों से बात नहीं करता था, जब तक वो ख़ुद आकर मुझसे बात न करें।

बाहुबली  के बाद का अनुभव अपने आप में ख़ूबसूरत है।

फोटो: साहो  के सेट्स पर।

बाहुबली  में आपका किरदार महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान करता था। लेकिन साहो  में आप बिल्कुल अलग किरदार में हैं। क्या आपको चिंता है कि लड़कियों को आपकी नयी इमेज पसंद नहीं आयेगी?

हाँ, हो सकता है कि साहो  देखने के बाद कुछ समय के लिये लड़कियाँ मुझसे नफ़रत करने लगे।

लेकिन अपनी आने वाली फिल्मों में बाहुबली  वाली इमेज को बनाये रखना लगभग असंभव है।

हर फिल्म में एक ही इमेज को लेकर हम दर्शकों का मनोरंजन नहीं कर सकते।

अगर स्क्रिप्ट तगड़ी हो, तो आप अपनी इमेज से बाहर आ सकते हैं। एक ऐक्टर की इमेज को बनाने या तोड़ने में स्क्रिप्ट का बहुत बड़ा हाथ होता है।

साथ ही दर्शक किसी भी फिल्म को देखना चाहेंगे, आपकी इमेज चाहे कैसी भी हो।

अच्छा है कि आप कमर्शियल ज़ोन में जायें और स्क्रीनप्ले-बेस्ड फिल्म करें।

बहुत लोग दुःखी हैं कि आपने फिर से राजामॉली के साथ काम नहीं किया।

राजामॉली और उनकी पूरी टीम, मैं भी, हम सभी ने चार साल तक दोनों बाहुबली  फिल्मों में दर्शकों का मनोरंजन किया है।

मेरे साथ दूसरा प्रोजेक्ट करने के लिये उनका स्क्रिप्ट से संतुष्ट होना ज़रूरी है।

स्क्रिप्ट चुनने में वक़्त लगता है।

बाहुबली  जैसी फिल्म बनाने में कई साल लगे थे, इसलिये वैसी फिल्म दुबारा बनाना आसान नहीं होगा।

उसी उम्मीद के साथ आये दर्शकों का मनोरंजन करना कोई मज़ाक नहीं है।

फोटोग्राफ: Prabhas/ Facebook के सौजन्य से

लोग कहते हैं कि आप अपनी फिल्म को रिलीज़ के दिन नहीं देखते।

ऐसा कुछ नहीं है, इसका एक ही कारण है, तनाव।

आप किसी फिल्म के लिये कड़ी मेहनत करते हैं और सोचते रहते हैं कि क्या अच्छा लगेगा और क्या नहीं।

अंत में आप इतने कनफ़्यूज़ हो जाते हैं कि आपके मन में तनाव भर जाता है।

बाहुबली  सभी को अच्छी लगी थी, तो अब देखना है कि साहो  में कितनों को मेरा काम पसंद आता है।

बाहुबली  के हिंदी वर्ज़न में आपकी आवाज़ शरद केलकर ने दी है। क्या आपने साहो  ख़ुद डब की है?

हाँ। हालांकि मुझे शरद केलकर की आवाज़ बहुत अच्छी लगी थी, लेकिन मैं साहो  में अपनी आवाज़ देना चाहता था।

मैंने बाहुबली  का तमिल वर्ज़न डब नहीं किया था, क्योंकि वो एक पीरियड वॉर फिल्म थी और आप उसमें कोई ग़लती नहीं कर सकते।

पीरियड फिल्म के लिये डायलॉग्स बोलने का वास्तविक अंदाज़ होना चाहिये।

साहो  कमर्शियल फिल्म है और वर्तमान पर आधारित है, तो मैं इसमें कोशिश कर सकता था।

फोटो: बाहुबली: द बिगिनिंग में प्रभास

आपका डबिंग का अनुभव कैसा रहा?

डायलॉग हिंदी में लिखे हुए थे। मैं हिंदी पढ़ सकता हूं, इसलिये मेरे लिये यह मुश्किल नहीं था।

शुरुआत में, टीम ने मुझे एक इंग्लिश स्क्रिप्ट दी थी, क्योंकि उन्हें पता नहीं था कि मैं हिंदी पढ़ सकता हूं।

हम बॉलीवुड और साउथ फिल्म इंडस्ट्रीज़ के बीच एक ख़ूबसूरत रिश्ता जुड़ता हुआ देख रहे हैं। जैसे रजनीकांत की 2.0 में हमने अक्षय कुमार को देखा, साहो में श्रद्धा कपूर और सै रा नरसिम्हा रेड्डी में अमिताभ बच्चन आ रहे हैं। सिनेमा के पैन-इंडिया होने पर आपका क्या कहना है?

यह एक ख़ूबसूरत संगम है।

विदेशों में लोग एक देश के रूप में फिल्में देखते हैं -- चाहे इंग्लिश हो, चीनी हो या कोई भी अन्य भाषा हो।

भारत में हम कई भाषाऍं बोलते हैं और यहाँ कई बड़े बाज़ार हैं -- पंजाबी हो, तेलुगू हो, तमिल हो, कन्नड़ हो या फिर हिंदी हो।

तो क्यों न हम सब साथ मिल कर दुनिया की सबसे बड़ी फिल्में बनायें?

यह सिलसिला शुरू हो चुका है और अब यह रुकेगा नहीं।

फोटोग्राफ: Prabhas/ Facebook के सौजन्य से

साउथ के ऐक्टर्स पूरी तरह डिजिटल मीडियम पर नहीं आये हैं। इसका क्या कारण है?

साउथ के लोगों को पहले इसकी आदत लगनी चाहिये।

कुछ नया स्वीकार करने में वक़्त लगता है।

युवा पीढ़ी ज़्यादा कूल और आधुनिक है, आगे सब कुछ बेहतर ही होगा।

आपकी मनपसंद हिंदी फिल्में कौन सी हैं?

शोले, दंगल, उड़ता पंजाब  जैसी फिल्में मुझे बहुत पसंद हैं...

दिव्या सोलगामा
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