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' बदला लेने का मेरा तरीका थोड़ा अलग है '
By रमेश एस
March 09, 2019

'अगर पाक़िस्तानी कलाकारों को बैन करने से आपको शांति मिलती है , तो कीजिये।'

'मुझे ज़्यादा फिक्र शहीद हुए जवानों और उनके परिवारों की है।'

'तो कलाकारों पर बैन लगाने वालों से मेरा सवाल है : उन्होंने जवानों और उनके परिवारों के लिये क्या किया है ?'

फोटो : तापसी पन्नू एक झलक फिल्म बदला से।

तापसी पन्नू सुजॉय घोष की बदला  में अपने पिंक  के को-स्टार अमिताभ बच्चन के साथ एक बार फिर दिखाई देंगी।

उन्होंने वादा किया है कि उनके किरदारों में ज़मीन-आसमान का फर्क है।

"आज की पीढ़ी के ज़्यादा कलाकारों को उनके साथ दो बार काम करने का मौका नहीं मिलता। मुझे लगता है मैं काफी लकी हूं," तापसी ने रिडिफ़.कॉम  के संवाददाता रमेश एस. को बताया।

इस बार सेट्स पर वातावरण कैसा था?

एक बार फिर मैंने बाँग सेट पर काम किया।

हमारे डायरेक्टर (सुजॉयघोष) भी बंगाली हैं और हमारे डीओपी (डायरेक्टर ऑफ़ फोटोग्राफी अविक मुखोपाध्याय) भी, जिन्होंने पिंक में भी काम किया था।

हमारा साउंड रेकॉर्डिस्ट भी बंगाली था।

इसलिये ज़्यादातर बात-चीत बंगाली में होती थी। मैं बंगाली सीखने की कोशिश कर रही थी, क्योंकि यह आगे मेरे काम आयेगी।

तो, मुझे कुछ अलग महसूस नहीं हुआ। बल्कि, ऐसा लगा कि मैंने एक ब्रेक के बाद फिर से वही काम शुरू किया है।

फोटो : बदला  में अमिताभ बच्चन के साथ तापसी। फोटोग्राफ : Taapsee Pannu/Instagram के सौजन्य से

एक बार फिर बच्चन जी के साथ काम करना कैसा लगा ?

पिंक  और बदला के मेरे किरदारों में ज़मीन-आसमान का फर्क है।

पिंक  में अमिताभ बच्चन मेरे किरदार के लिये एक मसीहा जैसे हैं, जो मुझे बचाने और इंसाफ़ दिलाने के लिये आगे आते हैं।

बदला  में, मेरे किरदार ने खुद को बचाने के लिये उन्हें काम पर रखा है।

इसलिये यहाँ ईक्वेशन काफ़ी अलग है।

ये पिंक की बेचारी-टाइप लड़की नहीं है, जिसे लगता है कि उसे इंसाफ़ नहीं मिला तो उसकी ज़िंदग़ी ख़त्म हो जायेगी।

बदला में, मैंने एक तेज़-तर्रार, आत्मनिर्भर, बिज़नेसवूमन का किरदार निभाया है, जो स्कॉटलैंड में अपनी कंपनी चला रही है।

उसकी ज़िंदग़ी के साथ खेलना इतना आसान नहीं है।

क्या आपको उनसे डर लगा था ?

मुझे पिछली बार भी उनसे डर नहीं लगा था।

सिर्फ पहले दिन मैं थोड़ा घबराई ज़रूर थी।

फिर मुझे लगा कि मैं डर के इस बटन को ऑफ़ कर सकती हूं।

और जब मैंने बटन बंद किया, तो फिर मैं बिल्कुल नहीं डरी। मैंने दुबारा उस बटन को हाथ नहीं लगाया।

पहले दिन मुझे काफी परेशानियाँ हुईं। उसके बाद सब नॉर्मल हो गया।

आज की पीढ़ी के ज़्यादा कलाकारों को उनके साथ दो बार काम करने का मौका नहीं मिलता।

मैं बेहद लकी महसूस कर रही हूं।

फोटो : तापसी अपने पिंक  के को-स्टार्स ऐंड्रिया तारियांग , कीर्ती कुल्हाड़ी और अमिताभ बच्चन के साथ। फोटोग्राफ : Taapsee Pannu/Instagram के सौजन्य से

क्या आप बदले में विश्वास रखती हैं ?

बदला लेने से अच्छा है हक़ीक़त को स्वीकार कर लेना।

लेकिन बदला एक इंसानी भावना है, जो कुदरती रूप से आती है और हर कोई कभी न कभी, अपने-अपने तरीके से बदला ज़रूर लेना चाहता है।

जब मैं 10 साल की थी, तब मेरा बदला लेने का तरीका अलग था।

अब 30s में मेरा बदला लेने का अंदाज़ अलग है।

क्या आपको बदला लेने का कोई मज़ेदार अनुभव हुआ है ?

अपने स्कूल के दिनों में मैं किसी को डेट कर रही थी। उसने मेरे साथ बोर्ड एक्ज़ाम के बहाने से ब्रेक अप कर लिया।

मुझे तब बहुत बुरा लगा था।

दो साल बाद, उसने फिर से मेरे साथ ऑनलाइन फ़्लर्ट करना शुरू किया।

मुझे पता चल गया कि वो दूसरी लड़की को डेट कर रहा है और मेरे साथ भी फ़्लर्ट कर रहा है।

तो मैंने बदला लेने की ठानी।

मैंने अपनी चैट की एक प्रिंटआउट कॉपी ली और उस लड़की को भेज दी, जिसे वो डेट कर रहा था (हँसते हुए)।

फोटोग्राफ : तापसी अपने बदला  लुक में। फोटोग्राफ : Taapsee Pannu/Instagram के सौजन्य से

आपकी फिल्में मुल्क़  और मनमर्ज़ियाँ  बॉक्स ऑफ़िस पर ज़्यादा चल नहीं पायीं।

मुल्क़  800 स्क्रीन्स पर रिलीज़ हुई थी, और अपनी कपैसिटी के अनुसार ही परफॉर्म कर पाई।

सालों से हमारी ऑडियन्स एक ही तरह की फिल्में देखती आयी है, जो उनकी सोच से मेल खाती हैं।

कहा जा सकता है कि एक ही तरह की फिल्म सफल होती है और सफल फिल्म बनाने के लिये एक ही तरह के फॉर्मुले का इस्तेमाल करना पड़ता है।

अब हम कुछ बदलाव लाना चाहते हैं। यह रातों-रात तो हो नहीं सकता; इसमें थोड़ा समय लगेगा।

आपके अनुसार आपकी यूएसपी क्या है ?

मुझे लगता है कि मुझमें आम भारतीय दर्शक से कनेक्ट करने की काबिलियत है और यही मेरी यूएसपी है।

मैं एक औसत भारतीय हूं और मैं अपने रोल्स और सिचुएशन्स उसी के अनुसार चुनती हूं।

मैं औसत भारतीय से आसानी से जुड़ सकती हूं।

साथ ही, अगर स्क्रिप्ट पढ़ने के बाद मैं किसी सीन को दिल से महसूस करूं, तभी मेरे दर्शक उस सीन को महसूस कर पायेंगे। मैं नहीं चाहती कि मेरे दर्शक ज़बर्दस्ती किसी सीन को महसूस करें।

अगर मैं भीतर से इसे महसूस कर सकूं, तभी मुझमें उतना आत्मविश्वास आयेगा और तभी मेरे डायरेक्टर दर्शकों के लिये इसे बख़ूबी पर्दे पर उतार सकेंगे।

फोटो : तापसी और विकी कौशल मनमर्ज़ियाँ  में।

बदला 2017 की स्पैनिश मूवी कॉन्ट्राटिएम्पो  / दि  इनविज़िबल गेस्ट  का ऑफ़िशियल रूपांतर है। सुजॉय घोष ने इसे कितना अलग बनाया है ?

उन्होंने स्पैनिश मूवी की कई खामियों को दूर किया है।

आपको नहीं लगेगा कि आप वही फिल्म देख रहे हैं, क्योंकि उन्होंने इसे हमारी भारतीय ऑडियन्स के अनुसार बनाया है।

फिल्म का हर किरदार तीन-चार पर्दों के पीछे छुपा है, और सब ने अगली बाज़ी के लिये अपने पत्ते तैयार रखे हैं।

बतौर ऐक्टर, एक लेयर से दूसरे में उतरना बेहद दिलचस्प होता है।

आपकी जगह बनाने के लिये इसमें लिंग को बदल दिया गया है। क्या यह फिल्म मिलने पर आप उत्साहित थीं ?

मैंने इसे मांगा था।

पहले मैंने दूसरा रोल मांगा था -- स्पैनिश मूवी में गर्लफ्रेंड का रोल।

जब मुझे फिल्म मिली थी, तब इससे कोई भी नहीं जुड़ा था, सुजॉय भी नहीं।

मैं एक ही शर्त पर फिल्म करने को तैयार हुई, कि मुझे मुख्य किरदार मिलना चाहिये, जो स्पैनिश फिल्म में एक मर्द ने निभाया है।

प्रोड्यूसर सुनीर खेत्रपाल ने कहा कि वो अपनी टीम के साथ बात करके मुझे बतायेंगे।

उसके बाद उन्होंने मेरी शर्त मान ली।

फोटो : डायरेक्टर सुजॉय घोष के साथ तापसी। फोटोग्राफ : Taapsee Pannu/Instagram के सौजन्य से

बदला  की रिलीज़ कैप्टन मार्वेल  के साथ हो रही है।

मैं एक्स-मेन और एवेंजर्स  की बहुत बड़ी फैन हूं, लेकिन कैप्टन मार्वेल  की नहीं!

मुझे याद है कि मैंने उसकी एक झलक देखते ही अपनी बहन से कहा था कि इसकी कास्टिंग सही नहीं हुई है।

उन्हें कैप्टन मार्वेल  के लिये मुझे चुनना चाहिये था, तब सब सही होता! (हँसते हुए)

जब बाद में मुझे पता चला कि ये बदला के साथ क्लैश हो रही है, तो मैंने सोचा कि बदला कैप्टन मार्वेल  से कहीं बेहतर है। उम्मीद है कि लोग कैप्टन मार्वेल  देखने न जायें! (हँसते हुए)।

मुझे खुशी है कि उस दिन आयरन मैन रिलीज़ नहीं हो रही, वर्ना फिर यह सोचने की कोई गुंजाइश नहीं रहती, कि किस फिल्म को पहले देखना चाहिये।

मैं रॉबर्ट डाउनी जूनियर की बहुत बड़ी फैन हूं, तो मेरे मन में भी एक धर्म-युद्ध  चल रहा था ।

बॉलीवुड में कई हिट्स देने के बाद भी, क्या अभी भी आपको 'बाहरी' जैसे बर्ताव का सामना करना पड़ता है ?

हाँ, और ये चीज़ मेरी आखिरी मूवी के आखिरी दिन तक रहेगी।

यहाँ पर एक आउटसाइडर सिंड्रोम फैला हुआ है।

इसका एक कारण हमारी अपनी सोच है, हम सभी को लगता है कि हम बाहरी हैं।

और बाक़ी दूसरे लोगों से आता है, जो हमें विश्वास दिलाते हैं कि हम बाहरी हैं।

क्या इसी कारण से पति पत्नी और वो  में आपकी जगह भूमि पेडणेकर को लिया गया ?

नहीं मुझे नहीं लगता इसके पीछे वो कारण है।

मुझे नहीं पता कि क्या हुआ और क्यों हुआ। लेकिन जो भी हुआ ग़लत हुआ, और मैंने इसके खिलाफ़ आवाज़ उठाई।

फोटो : जुड़वाँ  2 में तापसी।

जुड़वाँ  2 के बाद क्या आप कोई और मेनस्ट्रीम फिल्म करना चाहती हैं ?

जुड़वाँ  2 के बाद से मेनस्ट्रीम बदल रहा है।

लेकिन मैं अभी भी अच्छे किरदार के इंतज़ार में हूं।

मुझे लगता है मेरे जैसी कई लड़कियाँ कतार में इंतज़ार कर रही हैं और ऐसी फिल्म की लीड्स के लिये मुझसे ज़्यादा काबिलियत रखती हैं।

इसलिये मुझे ऐसे रोल्स में लेने के लिये आपको अच्छी तरह सोचना पड़ेगा क्योंकि मैं इस तरह की फिल्मों के लिये पहली पसंद नहीं हो सकती। डेविड धवन ने दो साल पहले दूर की सोच कर मुझे लिया था।

अब, कोई दूर की सोचने वाला ही मुझे ऐसे किरदार देगा, जो कुछ अलग करने से डरता नहीं हो।

मुझे ऐसी फिल्में करने में खुशी होगी।

मैंने अपना बॉलीवुड करियर चश्मेबद्दूर  से शुरू किया, जो इसी कैटेगरी में आती है।

लेकिन जैसा कि मैंने कहा, ऐसे रोल्स अच्छी तरह करने वाली लड़कियाँ बहुत हैं और उन्हें ऐसी फिल्मों में लेना लोगों के लिये ज़्यादा सेफ़ है।

फोटो : आदि पिनिसेटी के साथ तापसी उनकी तेलुगू फिल्म , नीवेवारो  में।

क्या आपको लगता है कि साउथ सिनेमा ने बॉलीवुड की तरह आपकी काबिलियत को नहीं पहचाना ?

यह चीज़ अब बदल चुकी है।

पहले जब मैं साउथ की फिल्में करती थी, तो भाषा मेरे लिये एक बड़ी परेशानी थी। जैसे, हिंदी पर मेरा पूरा कंट्रोल है, लेकिन साउथ की लैंग्वेजेज़ पर नहीं।

लेकिन अब यह चीज़ बदल चुकी है, वो अब मेरे पास दिलचस्प रोल्स के साथ आते हैं, क्योंकि भाषा की परेशानी अब दूर हो चुकी है।

मैं साउथ में हर साल एक फिल्म करती हूं।

बदला  के बाद, मेरी साउथ फिल्म, गेमओवर  रिलीज़ हो रही है।

अब तक का कौन सा रोल आपके किये सबसे मुश्किल रहा है ?

सबसे मुश्किल रोल सांड की आँख  में आ रहा है।

मुझे पता नहीं कि मैं ये कैसे करूंगी और ये कैसे होगा। भगवान बचाये मुझे (हँसतेहुए)

पाकिस्तानी कलाकारों के भारत में काम करने पर रोक लगा दी गयी है। आप इसके बारे में क्या सोचती हैं ?

मैं इस हमले (पुलवामा) में शहीद हुए हमारे जवानों और उनके परिवारों के लिये चिंतित हूं।

क्या लोग जितने जोश के साथ बदले की बात कर रहे हैं, उतना ही जोश उनका ध्यान रखने में भी दिखा रहे हैं?

मैंने ट्वीट किया था कि जनता के रूप में बदला लेना हमारे हाथ में नहीं है। इसके लिये बड़े अधिकारियों को रखा गया है और वो अपना काम कर रहे हैं।

लेकिन हमारे जवानों के परिवारों की मदद करना हमारे हाथ में है, और हमें उसपर ध्यान देना चाहिये।

लेकिन लोगों ने सोशल मीडिया पर मुझपर हमला बोल दिया। उन्होंने कहा कि मैं लड़ना नहीं चाहती, लेकिन असल में देखा जाये तो यह मेरे हाथ में नहीं है।

ऐसे कामों के लिये लोग हैं और वो अपना काम बख़ूबी कर रहे हैं।

तो मैं कलाकारों पर रोक लगाने वालों से पूछना चाहूंगी: उन्होंने जवानों और उनके परिवारों के लिये क्या किया है?

ऐसा नहीं है कि पाक़िस्तानी कलाकारों के यहाँ काम न करने या भारतीय फिल्मों के पाक़िस्तान में रिलीज़ न होने से भारतीय फिल्म इंडस्ट्री बंद हो जायेगी।

अगर पाक़िस्तानी कलाकारों को बैन करने से आपको शांति मिलती है, तो कीजिये।

लेकिन मेरा एजेंडा अलग है।

मुझे ज़्यादा फिक्र शहीद हुए जवानों और उनके परिवारों की है।

फोटो : भूमि पेडणेकर और तापसी सांड की आँख  के लिये शूट करती हुईं। फोटोग्राफ : Taapsee Pannu/Instagram के सौजन्य से

क्या आप वेब सीरीज़ करने में दिलचस्पी रखती हैं ?

अगर मुझे कुछ ऐसा मिले, जो मुझे मेनस्ट्रीम सिनेमा में नहीं मिल सकता, तो अपने काम में वराइटी को देखते हुए, मैं उसे ज़रूर करूंगी।

क्या आपने कोई वेब सीरीज़ की है ?

छोटे पर्दे पर मेरा ध्यान बहुत कम रहा है।

मैंने सिर्फ एक टीवी सीरीज़ देखी है, होमलैंड । मैंने सभी सीज़न्स देखे थे। मैं तीन दिनों के एक वीकेंड में एक सीज़न खत्म कर देती थी। फिर मुझे लगा यह सेहत के लिये हानिकारक है (हँसते हुए)।

क्या आप हाल की किसी फिल्म में होना चाहती थीं ?

मैं गलीबॉय  में रणवीर सिंह का किरदार निभाना चाहती थी।

आपके लिये क्या ज़्यादा मायने रखता है: बॉक्स ऑफ़िस या आलोचकों की प्रशंसा?

बॉक्स ऑफ़िस।

अब आगे क्या ?

बदला के बाद, मैं एक साउथ फिल्म में दिखूंगी और उसके बाद मिशन मंगल  और सांड की आँख  नामक दो हिंदी फिल्मों में।

रमेश एस
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