मुंबई की झुग्गियों से दुनिया के सबसे बड़े रिऐलिटी शो तक। आइये देखें नायगाँव के वी अनबीटेबल डांस क्रू ने कैसे बनाई अपनी पहचान।
फोटो: मुंबई का डांस ग्रुप वी अनबीटेबल मई 28, 2019 को अमेरिका'ज़ गॉट टैलेंट के ऑडीशन में सफल रहा। उनके ऑडीशन की क्लिप अभी तक दुनिया भर में 25 लाख से भी ज़्यादा लोगों ने देखी है। फोटोग्राफ्स: V Unbeatable/Facebook के सौजन्य से
"बेटा मैं ये नहीं कहूंगा कि तुम मत पढ़ो, पर मुझे डर है कि मैं तुम्हारी स्कूल की फीस टाइम पर नहीं भर सकूंगा।"
लगभग एक दशक पहले, मसीनागाँव (उत्तर प्रदेश, भारत का एक छोटा सा गाँव) में साइकल मरम्मत की दुकान चलाने वाले शंकर चौहान ने अपने किशोर बेटे, ओम प्रकाश से कहा कि वह उसकी स्कूल की फीस के साथ घर का खर्च नहीं चला पायेंगे।
पास के सरकारी स्कूल से हाल ही में दसवीं तक की पढ़ाई पूरी करने वाले ओम के पास दो ही रास्ते बचे थे -- अपनी पढ़ाई छोड़ कर घर चलाने में अपने पिता की मदद करना या डांस के अपने सपने को पूरा करना।
उसने दूसरा रास्ता चुना।
दस साल बाद, ओम प्रकाश चौहान मुंबई की झुग्गियों में रहने वाले 30 से भी ज़्यादा विद्यार्थियों के साथ अपना डांस ट्रूप चला रहा है, जो हाल ही में अमेरिका'ज़ गॉट टैलेंट (बाहरी लिंक), एक अंतर्राष्ट्रीय रिऐलिटी शो में पहुंचा है।
ग़रीबी से परेशान हो कर अपने घर से भागने वाले इस 27 वर्षीय लड़के को खुशी है कि अब वह अपने पिता को अपनी साइकल की दुकान से रिटायर होने के लिये कह सकता है। अब वह अपने घर पैसे भेज कर अपने माता-पिता को एक बेहतर ज़िंदग़ी दे पायेगा।
ओम की ज़िंदग़ी के कई ख़ास पलों में से सबसे बड़ा पल वो था जिसमें उसके डांसिंग ट्रूप वी अनबीटेबल को अमेरिका'ज़ गॉट टैलेंट के दर्शकों और जजेज़ ने खड़े होकर सराहा।
उनके ऑडीशन का एपिसोड मई 28, 2019 को टेलीविज़न पर दिखाया गया था। इसे देखने के लिये यहाँ क्लिक करें (बाहरी लिंक)
लेकिन उनके प्रदर्शन का एक लीक हुआ वीडियो (AGT के फेसबुक पेज द्वारा आधिकारिक रूप से शेयर किया गया), जिसमें मुंबई के भायंदर और नायगाँव की झुग्गियों से चुने गये 12 से 27 साल तक के 28 डांसर हैं, वायरल हो गया है (इसे अभी तक फेसबुक पर 21 मिलियन से भी ज़्यादा लोगों ने देखा है)।
ओम प्रकाश की कहानी उन सैंकड़ों स्लमडॉग मिलियनायर्स से मिलती है, जिन्होंने अपनी तक़दीर को चुनौती दी और अपने भविष्य को बेहतर, ख़ूबसूरत बनाने के लिये कड़ी मेहनत की है।
तो उसने ऐसा किया कैसे?
आइये उसके सफर की कहानी सुनें उसके शब्दों में:
फोटो: 2010 में ओम प्रकाश अपने डांसिंग के सपने का पीछा करते हुए अपने घर से भाग गया।
दसवीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद मैं घर से भाग कर मुंबई आ गया।
मेरे पास कोई डिग्री नहीं थी, इसलिये नौकरी ढूंढना बेहद मुश्किल था।
जब तक मुझे यहाँ भायंदर में नौकरी नहीं मिल गयी, तब तक मैंने किसी को बताया नहीं कि मैं यहाँ हूं। मैं छोटी-छोटी नौकरियाँ करता रहा, जिनके बाद मुझे सनग्लासेज़ की एक दुकान में काम मिला।
कुछ साल पहले मुझे एक जगह के बारे में पता चला, जहाँ गली-कूचे के कुछ बच्चे आकर बी-बॉइंग प्रैक्टिस करते थे।
मुझे डांस से बहुत लगाव था, इसलिये मैंने उनके साथ नाचना शुरू किया, उनके मूव्स सीखे। मेरे पास डांसिंग स्कूल जाने जितने पैसे नहीं थे, इसलिये मैं यहाँ-वहाँ से देख कर, मुझे सिखाने के लिये तैयार होने वाले हर इंसान से सीखता रहता था।
इसी तरह मैं विकास से मिला। विकास अपने माँ-बाप का इकलौता बेटा था। उसका परिवार भी हमारी तरह ग़रीबी से जूझ रहा था, इसलिये उसके घर वाले उसकी डांसिंग के तरफदार नहीं थे।
लेकिन विकास हमेशा अपने माँ-बाप से कहता रहता था: मुझे ये करने दो। एक दिन मैं बड़ा रिऐलिटी शो करूंगा और आपका नाम रोशन करूंगा।
मैंने डांस में जो कुछ भी सीखा है, उसी की वजह से है।
फोटो: डांस प्लस सीज़न 4 में वी अनबीटेबल ने प्रदर्शन किया।
विकास और मैंने अपना डांस ग्रुप शुरू किया, जहाँ खाली समय में हम झुग्गी-झोपड़ी के बच्चों को सिखाया करते थे।
2014 में, एक हादसे में विकास की जान चली गयी। हम सभी के लिये ये बहुत ही बड़ा झटका था।
हमारा ग्रुप टूट गया। उसके बिना हम तैयारी नहीं कर पाते थे।
उसकी मौत के बाद, उसके पिता मेरे पास आये और उन्होंने माफी मांगी।
उन्होंने बताया कि उन्होंने अफ़सोस होता है कि वो अपने बच्चे के सपने को नहीं समझ पाये। उन्होंने मुझे दुबारा डांस करने का हौसला दिया, ताकि मैं उसके अधूरे सपने को पूरा कर सकूं।
मैंने सबको दुबारा एक साथ लाने की हिम्मत जुटाई और उन्हें बताया कि विकास के पिता ने मुझसे क्या कहा है। सबकी आँखों में आँसू आ गये और सब उसके लिये कुछ करना चाहते थे।
विकास की याद में हमने अपने ग्रुप का नाम वी अनबीटेबल्स रखा।
उस दिन के बाद से, मैंने कसम खाई की मैं पूरी मेहनत करूंगा और कोई कसर बाकी नहीं रहने दूंगा।
मेरे ग्रुप के सारे बच्चे ग़रीब घर से थे।
उनमें से एक स्कूल बस का कंडक्टर है, और 3 से 4 बजे के बीच अपने ब्रेक के दौरान डांस सीखने का समय निकालता है।
संजय स्कूल जाता है और अपने पिता के साथ फूल मालाऍं बेचता है।
हर शाम कोई न कोई बहाना बना कर वो हमारे पास, नायगाँव आ जाता है। जब उसने डांस प्लस सीज़न 4 के ऑडीशन के दौरान अपनी कहानी बताई, तो दर्शकों के बीच बैठे उसके पिता चौंक गये।
'पापा आप पूछते थे ना, मैं डांस करने जाता था,' उसने कबूल किया।
उसके पिता सेट्स पर रो पड़े।
हमारे मेम्बर्स में से एक, सूरज जब एक बार रीहर्सल्स के समय सो रहा था, तो मैंने उसे डाँटा।
उसने चुपचाप मुझे सुना और फिर बताया कि वो कितना मजबूर है।
सूरज के माँ-बाप ने उसे कह दिया था कि उसे काम करके घर के खर्च में हाथ बँटाना होगा।
सुबह वो घर-घर जाकर अखबार देता था, दिन भर सड़क पर कपड़े बेचता था, और शाम को हमारे पास डांस करने आता था।
'आपकी गलती नहीं है। क्या करूं मैं? कब सोऊंगा' उसने मुझसे पूछा।
मुझे बुरा लगा कि मैंने उसे डाँट दिया। उसके पास एक जोड़ी जूते-चप्पल तक नहीं थे।
हमारे ग्रुप में हर किसी की अपनी कहानी है। ज़्यादातर माता-पिता साथ नहीं देते। और उनके साथ नहीं देने के पीछे भी कारण होता है।
ये बच्चे रीहर्सल्स के लिये अपने माँ-बाप से झूठ बोल कर आते थे, वर्ना आ नहीं पाते। उन्हें या तो पढ़ने या काम करने दिया जाता है, नाचने का तो कोई सवाल ही नहीं उठता।
हमारा एक नियम है -- ग्रुप जॉइन करने के बाद, रीहर्सल्स के लिये ट्रैक पैंट्स पहनना ज़रूरी होगा। मुझे पता था कि हर कोई ऐसा नहीं कर पायेगा।
मैं कभी-कभी बच्चों के लिये चीज़ें खरीदता हूं, लेकिन सबके लिये खरीदने जितनी तो मेरी कमाई है नहीं।
इन बच्चों को हमारी प्रैक्टिस की जगह आने के लिये नायगाँव स्टेशन (पश्चिम मुंबई का एक उपनगर) से रिक्शे में रु 10 से रु 15 खर्च करने पड़ते हैं।
नियम से आने वाले लगभग 35 बच्चे हैं, बाकी बच्चे मौका मिलने पर आते-जाते रहते हैं। लेकिन कोई ईवेंट होने पर मैं एक पिकअप ट्रक का इंतज़ाम कर देता हूं, जो 20 लोगों नायगाँव स्टेशन से लाने-ले जाने का काम करता है।
डांस प्लस के ऑडीशन में पहुंचना हमारे लिये एक बड़ा मौका था।
हमने एक फेसबुक पेज बनाया और हमारे वीडियोज़ सोशल मीडिया पर शेयर करने लगे।
दर्शकों से भी हमें बहुत सहयोग और प्रोत्साहन मिलने लगा।
लगता है अमरीका में बैठे किसी इंसान ने हमारा वीडियो देखा और हमें बुलाने का फैसला किया।
फोटो: ऑडीशन की एक तसवीर
मई 2019 में, मुझे ई-मेल पर AGT की टीम की ओर से ऑडीशन के लिये कैलिफोर्निया आने का बुलावा मिला।
मुझे यकीन नहीं हुआ। मुझे लगा कोई मज़ाक कर रहा होगा।
मैंने ई-मेल को दुबारा देखा और मुझे यक़ीन नहीं हुआ।
मैं ख़ुश तो बहुत था, लेकिन मुझे कई चीज़ों की फिक्र भी थी।
मेल में लिखा था कि वो लोग ग्रुप में सिर्फ 20 लोगों को लेना चाहते हैं। मैंने उस नंबर पर फोन किया और उन्हें समझाया कि मुझे मेरा ऐक्ट करने के लिये कम से कम 30 लोगों की ज़रूरत है।
अंत में वो लोग 28 लोगों के लिये तैयार हो गये।
जब मैंने उन्हें बताया कि मेरे पास टिकट के पैसे नहीं हैं, तो वो एक शर्त पर वो विज़ा और टिकट के पैसे देने के लिये तैयार हुए। शर्त ये थी, कि अगर हम ऑडीशन में सफल नहीं हुए, तो मुझे पैसे वापस लौटाने होंगे।
ये हमारे लिये बड़े जोखिम की बात थी। एक रिटर्न टिकट लगभग 65,000 का था। विज़ा के खर्च के साथ रकम लगभग 20 लाख हो जा रही थी।
जब मैंने ये ख़बर सबके माता-पिता और परिवारों को दी, तो उनमें से कुछ ही लोग मदद के लिये तैयार हुए। ज़्यादातर लोगों को लगा कि मैं इतने बड़े जोखिम के काबिल नहीं हूं।
मैंने किसी तरह उन्हें बच्चों को प्रैक्टिस के लिये भेजने को मनाया।
हमारे पास तैयारी के लिये सिर्फ 10 दिन थे। हमने दिन में 16 घंटे अभ्यास किया, लेकिन हार नहीं मानी।
मैंने अपनी बाइक बेच दी, एक दोस्त से पैसे उधार लिये और पासपोर्ट के लिये साइन किया।
विज़ा इंटरव्यू पर जाते समय मेरा सब कुछ दाँव पर लग चुका था।
हम सब इंटरव्यू के लिये गये थे, लेकिन सिर्फ मुझे भीतर बुलाया गया। उन्होंने मुझसे कुछ सवाल पूछे, जिनका मैंने अच्छी तरह जवाब दिया।
कुछ दिनों में विज़ा अप्रूव हो गया और हम यूएस पहुंच गये।
उसके बाद सब कुछ बहुत तेज़ी से हुआ।
मैं कुछ चीज़ें आपको नहीं बता सकता, क्योंकि मैं एक लीगल कॉन्ट्रैक्ट से बंधा हुआ हूं।
दुनिया भर के 40,000 लोग ऑडीशन के लिये आये थे। भारत की सिर्फ दो टीमें थीं, और हम उनमें से एक थे।
जब मेरे पिता ने ऑडीशन का लीक्ड वीडियो देखा, तो उन्होंने कहा कि उन्हें मुझपर नाज़ है।
मैं जानता था, मुझे यहाँ पहुंचने में 10 साल लगे हैं। मैंने उन्हें कहा कि मैं उनकी कड़ी मेहनत बर्बाद नहीं होने दूंगा।
हमारा आज का सफर दुनिया भर के विकास जैसे सैंकड़ों डांसर्स का सफर है।
कुछ सफल हुए हैं, कुछ हारे भी हैं। लेकिन मैं कभी हार नहीं मानूंगा।
हमने इतने सालों में बहुत कुछ देखा और सहा है।
हम AGT के अगले राउंड्स में जायेंगे या नहीं, ये तो वक़्त ही बतायेगा; लेकिन मैं हमारे ऊपर विश्वास दिखाने वाले लोगों का विश्वास टूटने नहीं दूंगा।
मैं उन सभी बच्चों को बेहतर ज़िंदग़ी देना चाहता हूं, जिन्होंने अपने सपने के लिये अपना सब कुछ दाँव पर लगा दिया है।
आज उनकी कड़ी मेहनत के कारण ही हम ये कहानी दुनिया को सुनाने के काबिल हुए हैं।
आज, मुझे पूरे देश से कॉल्स आ रहे हैं। मैं उन सभी का धन्यवाद करना चाहूंगा। मैं उनसे कहना चाहूंगा, 'आपके प्यार के लिए धन्यवाद। ये तो बस शुरुआत है! आगे भी हमारा साथ देते रहें।'
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