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न्यू ज़ीलैंड से भारत की हार के मुख्य कारण
By हरीश कोटियन
July 12, 2019

ओल्ड ट्रैफर्ड में भारत की दमदार टीम की न्यूज़ीलैंड के हाथों शिकस्त का कारण क्या है?

हरीश कोटियन ने डाली देश को सदमे में पहुंचाने वाली इस हार के कारणों पर एक नज़र।

फोटो: जुलाई 10, 2019 को ओल्ड ट्रैफर्ड में न्यू ज़ीलैंड से सेमी-फाइनल की हार के बाद निराश भारतीय कप्तान विराट कोहली। फोटोग्राफ: क्लाइव मेसन/गेटी इमेजेज़

विश्व कप के लीग स्टेज में शानदार प्रदर्शन के बाद बुधवार को भारत को सेमी-फाइनल में न्यू ज़ीलैंड के ख़िलाफ़ मुंह की खानी पड़ी और टीम धराशायी हो गयी।

पहले 3 बल्लेबाज़ों के सस्ते में निपट जाने के बाद मध्य क्रम के बल्लेबाज़ टीम को बचाने में असफल रहे, और कुल मिलाकर टीम की बल्लेबाज़ी ने टीम को निराश ही किया।

भारतीय गेंदबाज़ों ने तगड़ी गेंदबाज़ी का प्रदर्शन किया था, जिसके बाद बरसात के कारण सेमी-फाइनल रिज़र्व डे पर खेला गया और टॉस जीत कर पहले बल्लेबाज़ी करने का फैसला लेने वाली न्यू ज़ीलैंड की पारी 239 पर सिमट गयी।

नाराज़ कप्तान विराट कोहली ने अपने बल्लेबाज़ों के शॉट के चयन पर सवाल उठाये, क्योंकि ऋषभ पंत और हार्दिक पंड्या जैसे खिलाड़ी अच्छी शुरुआत के बाद ग़लत शॉट के कारण अपने विकेट फेंक कर लौट आये।

सिर्फ रविन्द्र जडेजा के काउंटर-अटैकिंग अर्धशतक ने कुछ समय के लिये भारत की उम्मीदों को जगाया, लेकिन न्यू ज़ीलैंड का अपने दूसरे विश्व कप फाइनल में पहुंचना का इरादा कुछ ज़्यादा ही मज़बूत था।

तो, आखिर भारत फाइनल में जगह क्यों नहीं बना पाया? आइये इस हार के मुख्य कारणों पर एक नज़र डालें।

फोटो: के एल राहुल, दायें, अपना विकेट खोकर लौटते विराट कोहली के साथ। फोटोग्राफ: नेथन स्टर्क/गेटी इमेजेज़

जल्दी विकेट खोना

ओल्ड-ट्रैफर्ड की दो रफ़्तार वाली सतह बल्लेबाज़ों पर भारी पड़ी।

न्यू ज़ीलैंड ने इस स्थिति को तुरंत भाँप लिया और 240 के आँकड़े से संतुष्ट नज़र आये।

फॉर्म में चल रहे भारतीय बैटिंग लाइन-अप में एकदिवसीय क्रिकेट के सर्वश्रेष्ठ दो बल्लेबाज़ों -- रोहित शर्मा और विराट कोहली -- के होते हुए यह स्कोर काफी आसान नज़र आ रहा था।

लेकिन भारत की पारी शुरुआत में ही लड़खड़ा गयी जब रोहित, कोहली और के एल राहुल सिर्फ 1-1 रन बना कर धराशायी हो गये।

4थे ओवर में भारत का स्कोर 5/3 था, और इस स्थिति से भारत कभी उबर नहीं पाया।

नं 4 पर कोई स्थिर विकल्प नहीं होना

फोटो: आउट होने पर ऋषभ पंत की प्रतिक्रिया।  फोटोग्राफ: माइकल स्टील/गेटी इमेजेज़

ख़राब शुरुआत के बाद, मध्य क्रम पर पारी को संभालने की ज़िम्मेदारी आ गयी।

लेकिन इस स्थिति को संभालने के लिये भारत के पास कोई अनुभवी नं 4 बल्लेबाज़ नहीं था।

युवा ऋषभ पंत अच्छी पारियों के बावजूद नं 4 के लिये सही विकल्प नहीं हैं, और यह बात तब साबित हो गयी जब अच्छी शुरुआत के बाद उन्होंने अपना विकेट सस्ते में गँवा दिया।

नं 4 पर सही मध्य क्रम का बल्लेबाज़ न होना भारत के लिये सेमी-फाइनल में अभिशाप साबित हुआ, जिसमें कोहली और रोहित के सस्ते में निपटने के बाद भारतीय टीम के सामने वही मंज़र आ गया, जिसका उन्हें डर सता रहा था।

ख़राब शॉट चयन

भारतीय बल्लेबाज़ों के शॉट चयन पर भी सवाल उठ रहे हैं।

रोहित मैट हेनरी की एक अच्छी गेंद पर विकेट के पीछे लपक लिये गये, जबकि कोहली पर शुरुआत में ही लाइन से बाहर आकर खेलने का इल्ज़ाम लगाया जा सकता है, जो ट्रेन्ट बोल्ट की गेंद पर लेग बिफ़ोर विकेट हो गये।

राहुल ने शरीर के बाहर जाती गेंद पर एक ढीला शॉट खेला और पीछे लपक लिये गये, जबकि उनके पास गेंद को छोड़ने का आसान विकल्प था।

32-32 रन बनाने वाले पंत और पंड्या ने फ़िज़ूल के शॉट खेल कर अपने विकेट गँवा दिये।

उन्होंने स्पिनर मिचेल सैन्टनर को स्लॉग स्वीप करने की कोशिश की, जबकि इस स्थिति में बिना जोखिम उठाये आराम से खेलने और पारी को मज़बूत बनाने की ज़रूरत थी।

धोनी को नं 7 पर भेजना एक गलती थी

फोटो: महेन्द्र सिंह धोनी मार्टिन गुप्तिल के डायरेक्ट हिट से रन आउट हो गये। फोटोग्राफ: नेथन स्टर्क/गेटी इमेजेज़

धोनी के पास 350 ODI खेलने का अनुभव है, लेकिन फिर भी टीम मैनेजमेंट ने जल्दी विकेट्स गिरने के बावजूद उन्हें नीचे भेजने का फैसला किया।

ऐसी स्थिति में धोनी का संयम नयी गेंद के साथ आतंक मचाते न्यू ज़ीलैंड के गेंदबाज़ों को मात दे सकता था।

हाल के कुछ वर्षों में धोनी का स्ट्राइक रेट कम रहा है, और यही बात टीम की डूबती नैया को पार लगा सकती थी।

ऐसे में पंत और पंड्या जैसे धमाकेदार बल्लेबाज़ अंत में बड़े शॉट खेल सकते थे, जब रन रेट बढ़ाने की ज़रूरत होती।

लेकिन टीम मैनेजमेंट ने बिल्कुल इसके विपरीत फैसला किया, जिसके कारण धोनी ने मैदान का एक छोर तो संभाल लिया लेकिन दूसरी ओर बड़े शॉट खेलने के लिये जडेजा के अलावा कोई भी नहीं बचा।

जडेजा का आउट होना

फोटो: रविन्द्र जडेजा, बायें, धोनी के साथ। फोटोग्राफ: क्लाइव मेसन/गेटी इमेजेज़

रविन्द्र जडेजा इस अंधेरी रात में अकेले चमकते सितारे बनकर उभरे।

गेंदबाज़ी के एक अच्छे स्पेल के बाद उन्होंने रॉस टेलर को रन आउट किया और फिर डीप में एक शानदार कैच पकड़ा।

साथ ही 4 छक्कों और 4 चौकों के साथ उनकी 59 गेंदों में 77 रन की काउंटर-अटैकिंग पारी ने भारत को हार के जबड़े से लगभग बाहर निकाल ही लिया था।

लेकिन 48वें ओवर में ट्रेन्ट बोल्ट के हाथों उनका आउट होना भारत की धुंधली उम्मीदों पर पानी फेर गया।

धोनी का रन आउट होना

जडेजा के आउट होने के बाद लॉकी फर्ग्युसन की गेंद पर छक्का लगा कर धोनी ने भारत की उम्मीदों को फिर से जगाया, लेकिन दो ही गेंदों बाद उनके रन आउट हो जाने पर टीम की कमर टूट गयी।

उन्होंने फर्ग्युसन की एक छोटी गेंद को फ़ाइन लेग पर भेजा और स्ट्राइक बचाने के मक़सद से दूसरे मुश्किल रन के लिये वापस लौटे, लेकिन मार्टिन गुप्तिल ने डायरेक्ट हिट के साथ उन्हें पैविलियन की राह दिखा दी।

धोनी अपने 50 रनों के साथ पैविलियन रवाना हुए, और भारत ने शिकस्त के साथ विश्व कप से बाहर होने की ओर कदम बढ़ा दिये।

धोनी का धीमा खेल

क्या धोनी कुछ ओवर पहले अपना तरीका बदल कर जडेजा के कंधों के बोझ को थोड़ा हल्का कर सकते थे?

चीज़ें हाथ से फिसलती देखने के बाद भी धोनी कभी जल्दी में नहीं दिखे और जडेजा को स्ट्राइक देकर बाउंड्री पार करने का पूरा ज़िम्मा उसके कंधों पर डाल कर संतुष्ट नज़र आये।

जब 4 ओवर में 42 रन चाहिये थे, तब धोनी और जडेजा ने मैट हेनरी के 47वें ओवर में महज़ 5 सिंगल लिये।

भारत को 3 ओवर में 37 रनों की ज़रूरत थी, लेकिन फिर भी धोनी ज़ोर लगाते नहीं दिखे।

और जब धोनी ज़ोर लगाते नहीं दिखे, तो जडेजा ने बोल्ट पर हमला बोलने की ठानी और गलत उठाये हुए शॉट के साथ ऑफ़-साइड में लपक लिये गये।

जब 2 ओवर में 31 रन की ज़रूरत आ पड़ी, तब जाकर धोनी ने फर्ग्युसन की एक छोटी वाइड बॉल को पॉइंट के ऊपर से 6 रनों के लिये बाउंड्री के बाहर भेज कर थोड़ा इरादा दिखाया, जिसके बाद उन्होंने एक फुल डिलिवरी को वापस गेंदबाज़ के पास भेजा और तीसरी गेंद पर रन आउट हो गये।

ऐसा लगा जैसे अपनी धमाकेदार पारी से भारत को खेल में वापस लाने वाले जडेजा के कंधों पर कुछ ज़्यादा ही बोझ डाल दिया गया हो।

अगर धोनी ने कुछ ओवर पहले शॉट मारने शुरू किये होते, तो आवश्यक रन रेट कम होने के कारण जडेजा के पास सावधानी से शॉट खेलने का विकल्प होता।

सेलेक्शन्स में दुविधा

ज़रूरी चयन को लेकर भारतीय टीम के सेलेक्शन में स्पष्टता की कमी का भी भारत की हार में बड़ा हाथ रहा।

पिछले वर्ष के लिये नं 4 बल्लेबाज़ तय किये जाने के बाद, अंबाटी रायुडू को विश्व कप के लिये नहीं चुना गया।

नं. 4 के रूप में विजय शंकर को चुना गया, और बाद में ये जगह आखिरकार के एल राहुल को मिली।

शिखर धवन की चोट के कारण राहुल को ओपनिंग के लिये ऊपर धकेल दिया गया और शंकर को नं 4 पर कुछ पारियाँ तो मिली, जिनमें वो सफल नहीं रहे, और बाद में चोट के कारण विश्व कप से बाहर हो गये।

इसके बाद ऋषभ पंत को उस पोज़ीशन पर आज़माया गया और यह बात साफ हो गयी कि उनके पास टीम को मुश्किल से बाहर निकालने का जज़्बा और अनुभव नहीं है।  

हरीश कोटियन
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