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इंग्लैंड के ख़िलाफ़ कीवीज़ के सामने होगा मिशन इम्पॉसिबल

By हरीश कोटियन
July 14, 2019 13:11 IST

लीग स्टेज में उतार-चढ़ाव के बावजूद इसमें कोई शक़ नहीं है कि इंग्लैंड विश्व कप की सबसे संपूर्ण टीमों में से एक है और रविवार के फ़ाइनल की दावेदार है, लेकिन न्यू ज़ीलैंड को हराना आसान कतई नहीं होगा, हरीश कोटियन का कहना है।

फोटो: विश्व कप सेमीफाइनल में 224 के लक्ष्य का पीछा करना किसी के बायें हाथ का खेल नहीं हो सकता, लेकिन इंग्लैंड ने अपने आक्रामक रुख़ के साथ इस काम को बेहद आसान बना दिया। फोटोग्राफ: Cricket World Cup/Twitter

क्या न्यू ज़ीलैंड की टीम इंग्लैंड को विश्व कप जीतने से रोक सकती है?

दोनों सेमी-फाइनल देखने के बाद लगता है कि न्यू ज़ीलैंड को दूसरे सेमीफाइनल के एकतरफ़ा मुक़ाबले में पाँच बार चैम्पियन रह चुकी ऑस्ट्रेलिया को 8 विकेट से धूल चटाने वाली इंग्लैंड की टीम के ख़िलाफ़ एक असंभव चुनौती का सामना करना पड़ेगा।

और फाइनल में इंग्लैंड की दावेदारी को जानने के लिये आपको ज़्यादा दूर देखने की ज़रूरत नहीं है।

एक सप्ताह पहले ही इंग्लैंड ने लीग स्टेज के एक मैच में कीवीज़ को 119 रनों से मात दी थी, जिसमें जॉनी बेयरस्टो के दमदार शतक ने मेज़बान टीम को 305/8 के स्कोर तक पहुंचाया, जिसके बाद मार्क वुड (3/34) के साथ अन्य तेज़ गेंदबाज़ों के आक्रामक हमले ने मेहमान टीम को 186 पर समेट लिया।

इंग्लैंड सेमी-फाइनल में भी विरोधियों पर हावी रही। एयॉइन मॉर्गन की टीम ने ऑस्ट्रेलिया को 223 के कमज़ोर आँकड़े पर निपटा दिया, और फिर धुंआँधार अंदाज़ में सिर्फ 32.1 ओवर में लक्ष्य को हासिल कर लिया।

जेसन रॉय (85) और जॉनी बेयरस्टो (34) की लगातार चौथी शतकीय ओपनिंग साझेदारी ने रविवार के फाइनल से पहले इंग्लैंड के मनोबल को आसमान पर पहुंचा दिया है।

फोटो: जोफ़रा आर्चर 10 मैच में 19 विकेट के साथ इंग्लैंड के सबसे ज़्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज़ हैं। फोटोग्राफ: माइकल स्टील/गेटी इमेजेज़  

पिछली बार 1992 में फाइनल में पहुंचने वाली इंग्लैंड की टीम पाक़िस्तान से हार गयी थी, लेकिन इस बार यह टीम टूर्नामेंट की शुरुआत से ही भारत के साथ जीत के सबसे बड़े दावेदारों में से एक थी।

दक्षिण अफ्रीका के ख़िलाफ़ 104 रनों की शानदार जीत के साथ विश्व कप अभियान शुरू करने वाली यह टीम पाक़िस्तान के ख़िलाफ़ लड़खड़ा गयी, जिसके बाद इसने लगातार तीन जीतें दर्ज कीं (बांग्लादेश, वेस्ट इंडीज़ और अफ़ग़ानिस्तान के ख़िलाफ़) और अपने अभियान को फिर से सही ढर्रे पर लाने में सफल रही।

लेकिन श्रीलंका से 20 रनों की हार टीम के लिये एक बड़ा झटका थी, जिसके बाद यह टीम ऑस्ट्रेलिया से भी हार गयी और इंग्लैंड विश्व कप से बाहर होने की कगार पर आ खड़ा हुआ।

इंग्लैंड की कायापलट भारत के ख़िलाफ़ शुरू हुई, जब उन्होंने दो बार विजेता रह चुकी भारतीय टीम को 31 रनों से मात दी, जिसमें उनके ओपनर्स -- रॉय (66) और बेयरस्टो (111) -- ने चमक बिखेरी। इसके बाद अंग्रेज़ी टीम ने पलट कर नहीं देखा।

दूसरी ओर लगातार तीन बार हारने के बाद सेमी-फाइनल में पहुंची न्यू ज़ीलैंड की टीम भारत के ख़िलाफ़ मुश्किल जीत दर्ज कर पाई, जिसमें उन्होंने भारत को 18 रनों से पीछे छोड़ दिया।

न्यू ज़ीलैंड के लिये इंग्लैंड को रोकने का एकमात्र तरीका है जल्दी विकेट्स गिराना और उनके पास ऐसा करने के लिये तगड़ी गेंदबाज़ी भी है, जिसका नमूना हमने भारत के ख़िलाफ़ देखा।

बेयरस्टो और रॉय शुरुआती ओवर में अपने आक्रामक खेल से विरोधी टीम के छक्के छुड़ाने में माहिर हैं।

फोटो: जेसन रॉय ने विश्व कप में अपनी पिछली चार पारियों में तीन अर्ध शतक और एक शतक जड़े हैं। फोटोग्राफ: डेविड रॉजर्स/गेटी इमेजेज़

अब तक, बेयरस्टो ने दो शतकों और दो अर्धशतकों के साथ 10 मैच में 95 की स्ट्राइक रेट से 496 रन बनाये हैं, जबकि रॉय ने सात मैच में 117 के स्ट्राइक रेट से 426 रन जड़े हैं।

और अगर उनमें से कोई जल्दी लुढ़क भी जाये, तो इंग्लैंड के पास नं 3 पर जो रूट हैं, जिन्होंने दो शतकों के साथ अभी तक 549 तन बनाये हैं और फॉर्म में चल रहे है, एयॉइन मॉर्गन (362 रन), बेन स्टोक्स (381) और जॉस बटलर (253) सभी अपने दम पर मैच जिताने में सक्षम हैं।

लीग स्टेज में उतार-चढ़ाव के बावजूद इसमें कोई शक़ नहीं है कि इंग्लैंड विश्व कप की सबसे संपूर्ण टीमों में से एक है।

इंग्लिश बल्लेबाज़ी तो दमदार है ही, साथ ही चार फ्रंटलाइन तेज़ गेंदबाज़ों के साथ उनकी गेंदबाज़ी भी उतनी ही तगड़ी है; असल में बीच के ओवर्स में प्रभावशाली ओवर्स फेंकने की स्टोक्स की क्षमता को देखते हुए आप पाँच तेज़ गेंदबाज़ गिन सकते हैं, और साथ ही आदिल रशीद के रूप में उनके पास स्पिन की फ़िरकी भी मौजूद है।

फोटो: पहले सेमी-फाइनल में विराट कोहली के विकेट की ख़ुशी मनाते ट्रेंट बोल्ट। फोटोग्राफ: डेविड रॉजर्स/गेटी इमेजेज़

2015 में ऑस्ट्रेलिया से विश्व कप फाइनल हारने वाली न्यू ज़ीलैंड की टीम को इस बार बाज़ी मारने के लिये जी-जान लगाना होगा।

कीवीज़ आखिरी तीन लीग मैच हारने के बाद सिर्फ पाक़िस्तान से बेहतर रन रेट के कारण सेमीफाइनल में पहुंचे हैं, और उन्हें जीत का दावेदार तो नहीं माना जा सकता।

न्यू ज़ीलैंड की बल्लेबाज़ी दो सीनियर दिग्गजों -- केन विलियमसन और रॉस टेलर पर निर्भर करती है।

इंग्लैंड से तुलना की जाये, तो कीवी ओपनर्स ज़्यादा रन नहीं बना पा रहे हैं। मार्टिन गुप्तिल (9 मैच में 167 रन) को रन नहीं मिल रहे, जबकि उनके दूसरे जोड़ीदारों कोलिन मुनरो (6 मैच में 125 रन) और हेनरी निकोल्स (3 मैच में 36 रन) पर भी ज़्यादा भरोसा नहीं किया जा सकता।

फोटो: न्यू ज़ीलैंड की उम्मीदें काफी हद तक कप्तान केन विलियमसन पर टिकी होंगी। फोटोग्राफ: डेविड रॉजर्स/गेटी इमेजेज़

इंग्लैंड को पता है कि अगर उन्होंने विलियमसन (नौ मैच में 548 रन) को जल्दी आउट कर दिया, तो आधी जंग वे वहीं जीत लेंगे।

टेलर ने 335 रन बनाने के बावजूद अभी तक बहुत ज़्यादा संतोषजनक प्रदर्शन नहीं दिखाया है, जबकि जिमी नीशम, टॉम लाथम और कोलिन डी ग्रैंडहोम भी कोई बड़ा कारनामा करने के लिये तैयार नहीं दिखाई दे रहे।

एक चीज़ निश्चित है: न्यू ज़ीलैंड भारत की ही तरह इंग्लैंड से भी आखिरी गेंद तक लड़ेगी और इंग्लैंड के लिये मुकाबला आसान तो कतई नहीं होगा।

क्या ट्रेंट बोल्ट और साथी गेंदबाज़ एक बार फिर अपना जलवा बिखेर पायेंगे?

या फिर हमें लॉर्ड्स पर अंग्रेज़ों का जश्न देखने को मिलेगा? इस संभावना को नकारने वाले बहुत ही कम लोग होंगे!

हरीश कोटियन
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