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कोहली कुछ खास करेंगे: सचिन
By हरीश कोटियन
June 03, 2019

'यदि हम अपनी मूलभूत बातों पर फोकस करें और जो भी करे उसमें अपना शत प्रतिशत दें, तो सेमीफ़ाइनल तक पहुँचने की हमारी संभावना बढ़िया है।'

'उसके बाद विश्व कप जीतने के लिए हमें बस दो अच्छे दिन चाहिए'।

तसवीर: विराट कोहली बल्लेबाज़ी में विश्वकप में अग्रसर रहेंगे, ऐसा मानना है, सचिन तेंदुलकर का। फोटोग्राफ: Robert Cianflone/Getty Images

जब विश्व कप की बात आती है, तो महान सचिन तेंदुलकर से बेहतर कोई नहीं रहा!

इस लिटल मास्टर ने जिन छह विश्व कप में शिरकत की, उनमें से पाँच में अपनी धमाकेदार बल्लेबाज़ी से विश्व को मोहित कर दिया।

छह प्रतियोगिताओं में 2278 रन के साथ विश्व कप में सबसे अधिक रन बनाने के रिकॉर्ड उनके नाम पर है।

2003 में 11 मैचों में कुल 673 रन बनाने के उनके रिकॉर्ड की बराबरी अब तक कोई नहीं कर पाया है- विश्व कप के एक संस्करण में सर्वाधिक रन का यह रिकॉर्ड है।

विश्व कप के इतिहास में सबसे अधिक शतकों (6) और अर्धशतकों (15) का रिकॉर्ड भी इसी मास्टर ब्लास्टर के नाम है।

तेंदुलकर के विश्व कप के रिकॉर्ड को अगर कोई चुनौती दे सकता है, तो वह विराट कोहली है।

कोहली, जिन्होंने विश्व कप में अपनी शुरूआत (2011 में बांग्लादेश विरुद्ध नाबाद 100) शतक के साथ की थी, इस सबसे बड़े क्रिकेट मंच पर अपनी छाप छोड़ने से चूकेंगे नहीं।

2015 विश्वकप में उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ मैच जितानेवाला शतक बनाया था, लेकिन प्रतियोगिता के अन्य मैचों में वे अर्ध शतक से आगे नहीं बढ़ पाए थे।

तेंदुलकर का मानना है की, कोहली, जो विश्व क्रिकेट में श्रेष्ठ बल्लेबाज़ के रूप में उभरे हैं, इस विश्व कप में बेहतरीन प्रदर्शन करेंगे।

"टीम इंडिया को इस मुकाम पर पहुंचाने में विराट की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। और इस विश्व कप में भी कुछ खास कर गुज़रने के लिए वे पूरी तरह से तैयार हैं। कोई बड़ा काम करने के लिए विश्व कप से बेहतर दूसरा कोई मंच नहीं हो सकता, इसलिए मुझे पूरा भरोसा है, की वो श्रेष्ठ प्रदर्शन करेंगे", सचिन ने रिडिफ़.कॉम के हरीश कोटियन को बताया।

युवा विराट कोहली आपके टीम-मेट रहे हैं और 2011 की विश्व कप विजेता टीम के सदस्य भी रहे हैं। पिछले आठ वर्षों में एक खिलाड़ी के तौर पर वह कितना विकसित हुए हैं?

हाँ, विराट जब 2011 विश्व कप में खेले थे, तब वह युवा खिलाड़ी थे। पर वह एक ऐसा खिलाड़ी था, जो अधिक से अधिक बातों को सीखना और समझना चाहता था। इतने सालों में वह बहुत कुछ सीखे हैं और उन्होंने अपने आप को साबित भी किया है।

टीम इंडिया आज जहाँ है, वहाँ तक उसे लाने में विराट ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

इस विश्वकप में भी कुछ खास कर दिखाने के लिए वह पूरी तरह से तैयार हैं। ऐसा कुछ कर दिखाने के लिए विश्व कप से बेहतर और कोई मंच हो ही नहीं सकता, इसलिए मुझे भरोसा है की वे अवश्य ऐसा करेंगे।

पिछले नौ वर्षों में उन्होंने बहुत कुछ सीखा है और मुझे लगता है की वे अवश्य सबकी उम्मीदों पर खरे उतरेंगे।

2011 विश्वकप में आपकी और वीरेंद्र सहवाग की महत्वपूर्ण भूमिका थी। क्या आपको लगता है की शिखर धवन और रोहित शर्मा वही काम इस बार कर पाएंगे?

रोहित और धवन भारत की एक सफल ओपनिंग जोड़ी रही है। उन्होंने कुछ महत्वपूर्ण पारियाँ खेली हैं। और मुझे लगता है कि वे इंग्लैंड में भी अच्छा प्रदर्शन करेंगे।

तसवीर: 21 अप्रैल 2011 को मुंबई में 2011 विश्व कप जीतने के बाद सचिन तेंदुलकर को उनके साथियों ने कंधों पर उठा लिया था। फोटोग्राफ: Robert Cianflone/Getty Images

एक ऑलराउंडर के रूप में हार्दिक पंड्या की भूमिका कितनी अहम होगी? आपने IPL के दौरान मुंबई इंडियन्स टीम में उनको नज़दीक से देखा है, जहाँ उन्होंने बढ़िया पारियाँ खेली हैं।

यह दोनों अलग अलग प्रारूप हैं। एक T20 है और दूसरा 50 ओवर्स का, जहाँ फील्ड सेटिंग अलग होती है, गेंदबाज़ अलग तरीके से सोचते हैं इसलिए इन दोनों प्रारूपों को पहचानने में गड़बड़ नहीं करनी चाहिए।

मैं मानता हूँ कि हार्दिक ने IPL में जो शॉट लगाए वे अच्छे क्रिकेटिंग शॉट थे। ऐसा नहीं कि अपना संतुलन खोकर उन्होंने बल्ला घुमा दिया हो। मेरे खयाल से उन शॉट को खेलते समय वे पूरी तरह से अपने नियंत्रण में थे।

अगर ऐसी कोई स्थिति निर्माण होती है, तो मैं उनको भेजकर मौका देने के पक्ष में हूँ। वे अवश्य असरदार पारी खेलेंगे।

जहाँ तक उनकी गेंदबाज़ी का सवाल है, वे हमेशा जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद शमी और भुवनेश्वर कुमार के लिए सहायक गेंदबाज़ रहेंगे।

1992 में अपने पहले विश्व कप में वैसा ही प्रारूप था, जैसा इस विश्व कप में है, जिसमें लीग स्तर पर सभी टीम एक-दूसरे के साथ खेलती हैं। इस विषय में आपके क्या विचार है?

मुझे लगता है, विश्व कप के लिए यह सबसे अच्छा प्रारूप है।

मुझे लगता है, यह एक ऐसा प्रारूप हैं, जिसमें आपको वापसी करने का मौका मिलता है।

कभी कभी ऐसा होता है कि आप कुछ सोचो इससे पहले मैच ख़त्म हो जाता है। इसलिए अगर कोई एक दिन आपके लिए बुरा होता है, तो आप सीधे प्रतियोगिता से बाहर हो जाते हैं।

यह कठोर लगता है, क्योंकि यह विश्व कप है और दूसरे मौके की उम्मीद तो हर किसी को होगी। आपका कोई दिन बुरा भी हो, तब भी आपको उससे उबरने का समय मिलता है। यह प्रारूप आपको उबरने के लिए समय देता है।

लेकिन यह प्रारूप लंबा है। इसलिए अपने शरीर के साथ साथ अपने मन को भी लंबे समय तक चुस्त रखना चुनौती से भरा होगा।

हम हमेशा शारीरिक फिटनेस की बात करते हैं, पर मानसिक फिटनेस भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है।

हमारी टीम को यह समझना होगा कि कितना अभ्यास करना है, किस प्रकार करना है और कब करना है।

आराम करना भी उतना ही ज़रूरी है। अपने मन को तरोताज़ा रखना महत्वपूर्ण है।

मेरा विश्वास है कि यदि हम अपनी मूलभूत बातों पर फोकस करें और जो भी करे उसमें अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करें, तो सेमीफ़ाइनल तक पहुँचने की हमारी संभावना बढ़िया है।

उसके बाद विश्व कप जीतने के लिए हमें बस दो अच्छे दिन चाहिए।

विश्व कप के दौरान आपके हिसाब से हालत कैसे रहेंगे? क्या स्पिन की कोई भूमिका होगी?

जब हम विश्व कप के दौरान पिच की बात करते हैं, तब न्यूज़ीलैंड विरुद्ध मैच में अलग पिच था, जहाँ पिच पर कुछ घास थी।

मुझे लगता है, वह स्थिति कुछ हद तक शुरूआती गेंदबाज़ों के पक्ष में थी। इससे अच्छा क्रिकेट संभव हुआ।

जैसे हम इंग्लिश क्रिकेट समर में आगे बढ़ते जाएंगे, विकेट बदलता जाएगा और थोड़ा फ्लैट हो जाएगा। मुझे यह भी लगता है कि स्पिनर्स की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण होगी।

हरीश कोटियन
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